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    दिल्ली के सरकारी स्कूल होंगे पूरी तरह बैरियर फ्री, दिव्यांग छात्राें की सुविधा को देखते हुए फैसला

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 06:21 PM (IST)

    शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों को दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह सुलभ बनाने के निर्देश दिए हैं। रैंप, हैंडरेल और विशेष शौचालयों की व्यवस्था करने के साथ, कक्षाओं को भूतल पर रखने और खेल गतिविधियों को अनुकूलित करने पर जोर दिया गया है। स्पेशल एजुकेटर टीचर्स (एसईटी) केवल दिव्यांग छात्रों की शिक्षा पर ध्यान देंगे। निर्देशों का पालन न करने पर कार्रवाई की जाएगी, जिससे स्कूलों में समावेशी वातावरण बनेगा।

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    दिल्ली के सरकारी स्कूल होंगे पूरी तरह बैरियर फ्री, दिव्यांग छात्राें की सुविधा को देखते हुए फैसला। अर्काइव

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी स्कूलों को दिव्यांग विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिए पूरी तरह सुलभ बनाने के निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय की समावेशी शिक्षा शाखा ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि स्कूलों को ऐसा ढांचा विकसित करना होगा, जहां दिव्यांग बच्चों को किसी भी तरह की रुकावट या परेशानी का सामना न करना पड़े।

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    निदेशालय ने यह आदेश दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 के तहत जारी किया गया है। इस कानून के अनुसार हर शिक्षा संस्थान का दायित्व है कि वह दिव्यांग विद्यार्थियों को समान अवसर दे और उन्हें ऐसा वातावरण उपलब्ध कराए जिसमें वे आसानी से पढ़ सकें और भाग ले सकें।

    आदेश में कहा गया है कि स्कूलों में बने रैंप पूरी तरह खुले और साफ रखे जाएं। रैंप पर कोई अवरोध या भारी वस्तु नहीं रखी जाए। इसके अलावा रैंप की फर्श पर फिसलन रोकने के लिए एंटी-स्किड टाइल्स लगाई जाएं ताकि बच्चे सुरक्षित रूप से आवाजाही कर सकें। सभी सीढ़ियों के दोनों ओर मजबूत हैंडरेल लगाना भी अनिवार्य किया गया है।

    स्कूलों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि दिव्यांग विद्यार्थियों की कक्षाएं भूतल पर ही रखी जाएं ताकि उन्हें ऊपर-नीचे जाने में कठिनाई न हो। दृष्टिबाधित (नेत्रहीन) विद्यार्थियों और शिक्षकों की कक्षाएं एक ही भवन में रखी जाएंगी ताकि उन्हें अलग-अलग बिल्डिंग्स में जाने की जरूरत न पड़े।

    निदेशालय ने स्कूलों को यह भी कहा है कि दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए खेल के मैदान और अन्य खेलकूद गतिविधियों को भी उनके अनुकूल बनाया जाए। स्कूलों में ऐसे शौचालय हों जो व्हीलचेयर से आने-जाने लायक हों और जिनकी सफाई नियमित रूप से की जाए।

    आदेश में यह भी साफ कहा गया है कि स्पेशल एजुकेटर टीचर्स (एसईटी) को केवल दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा और मदद के लिए ही लगाया जाए। उन्हें अन्य सामान्य कार्यों में नहीं लगाया जाएगा ताकि उनका पूरा समय और ध्यान विशेष जरूरत वाले बच्चों को दिया जा सके।

    स्कूल प्रधानाचार्यों यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे समय-समय पर स्कूल की बैरियर-फ्री सुविधाओं की जांच करें और अगर कहीं कमी मिले तो उसे तुरंत ठीक करवाएं। निदेशालय ने चेतावनी दी है कि यदि किसी स्कूल में इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

    शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ये कदम दिव्यांग विद्यार्थियों को न केवल पढ़ाई में मदद करेगा बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने की दिशा में भी आगे बढ़ाएगा। इससे स्कूलों में समावेशी माहौल बनेगा और हर बच्चे को समान अवसर मिलेगा।

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