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    Delhi Blast: हमास से सीखना चाह रहे थे ड्रोन से अटैक करने की तकनीक, NIA की जांच में बड़ा खुलासा

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 06:50 PM (IST)

    दिल्ली के लाल किले पर हमले की साजिश रच रहे फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के सदस्य हमास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। वे भारत में भी हमास जैसे हमले को दोह ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जांच एजेंसियों को पता चला है कि दिल्ली के लाल किले पर विस्फोट करने वाले फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के सदस्य आतंकी संगठन हमास के सदस्यों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे थे। जांच से पता चलता है कि मॉड्यूल के सदस्य इजराइल में हमास द्वारा किए गए हमले की तरह भारत में भी ऐसा ही हमला दोहराना चाहते थे।

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    7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर अचानक हमला किया था। इस हमले में 1,195 इजराइली और विदेशी नागरिक मारे गए थे तथा 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था। इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा कि हमास का यह हमला कई कट्टरपंथियों के लिए प्रेरणा बन गया था। फरीदाबाद मॉड्यूल के सदस्यों की कई बातचीत में भारत में भी ऐसा ही हमला करने की चर्चा हुई थी।

    मॉड्यूल के सदस्यों ने हमास के हमले के पैटर्न का गहन अध्ययन किया था, लेकिन इतने बड़े स्तर के हमले के लिए उन्हें और मदद की जरूरत थी। इसी वजह से वे हमास के विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहते थे ताकि 7 अक्टूबर वाले हमले में इस्तेमाल हुए हथियार बनाने में मदद मिल सके। कुछ सदस्यों ने हमास के विशेषज्ञों से मिलने के लिए विदेश यात्रा करने की भी योजना बनाई थी।

    अंततः आईएसआई ऐसे बैठक की सुविधा प्रदान करता, क्योंकि हमास के सदस्य पाकिस्तान आते-जाते रहते हैं और वहां के आतंकी संगठनों से समन्वय करते हैं लेकिन हमास इजराइल के साथ चल रहे पूर्ण युद्ध में व्यस्त होने के कारण संपर्क नहीं हो पाया।

    फरीदाबाद मॉड्यूल का सदस्य जासिर बिलाल वानी उर्फ दानिश इस पूरे ऑपरेशन का प्रमुख था। उसका मानना था कि सरप्राइज ड्रोन हमले को परफेक्ट करने के लिए हमास के विशेषज्ञों से मिलना जरूरी है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उन्होंने आईएसआई की मदद लेने का फैसला किया था ताकि ऐसी बैठक हो सके लेकिन अगला कदम उठाने से पहले ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने मॉड्यूल को ध्वस्त कर दिया।

    जांचकर्ताओं का कहना है कि फरीदाबाद मॉड्यूल सिर्फ खतरनाक नहीं था, बल्कि बेहद महत्वाकांक्षी भी था। ये कोई सामान्य हमला नहीं करना चाहते थे। ये एक बड़ा बयान देना चाहते थे और इनसे बरामद की गई अमोनियम नाइट्रेट की भारी मात्रा इनके पैमाने और महत्वाकांक्षा का सबूत है।

    एनआईए को दानिश के फोन से ड्रोन की तस्वीरें मिली हैं। फोन में कुछ विदेशी नंबर भी थे, जिससे लगता है कि वह ड्रोन से घातक हमले करने की ट्रेनिंग लेने की कोशिश कर रहा था। वह ग्लाइडिंग रॉकेट्स का अध्ययन कर रहा था और कम से कम 25 किलोमीटर की रेंज में हमले करने की योजना बना रहा था। 

    एनआईए अधिकारी ने कहा, 'अगर ये सफल हो जाते तो देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे हमले दोहराने की योजना थी।' 

    ड्रोन में हथियार फिट करने का विशेषज्ञ

    एनआईए के अनुसार, दानिश ड्रोन में बदलाव करने का विशेषज्ञ था। वह आतंकी हमलों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा था। वह ड्रोन में बदलाव कर रहा था और रॉकेट भी बना रहा था। 17 नवंबर को गिरफ्तार दानिश छोटे हथियारबंद ड्रोन बनाने में सक्षम था, लेकिन बड़े बैटरी वाले शक्तिशाली ड्रोन बनाने की विशेषज्ञता उसमें नहीं थी। उसे लगता था कि उसके द्वारा आसानी से बनाए जा सकने वाले छोटे ड्रोन वांछित प्रभाव नहीं पैदा कर पाएंगे।

    हमास स्तर का हमला करने के लिए चाहिए थे बड़े ड्रोन

    जांच में पता चला है कि हमास जैसे स्तर का हमला करने के लिए ज्यादा शक्तिशाली ड्रोन बनाने की जरूरत थी, जिनमें बड़ी बैटरी लगी हो। इससे ड्रोन भारी बम के साथ-साथ कैमरे भी ले जा सकें।अधिकारियों का कहना है कि इतने भारी बम ले जा सकने वाले ड्रोन बनाने के लिए फरीदाबाद मॉड्यूल को विशेषज्ञ सहायता की जरूरत थी। यही वजह है कि अपनी चर्चाओं में वे हमास के विशेषज्ञों से संपर्क करने की आवश्यकता महसूस कर रहे थे। 

    मॉड्यूल के कुछ सदस्य इन विशेषज्ञों से मिलने विदेश जाने को भी तैयार थे और इसके लिए आईएसआई से भी संपर्क करने की योजना थी। लेकिन समय रहते मॉड्यूल का भंडाफोड़ हो गया और एक बड़ी आपदा टल गई।

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