दिल्ली में नकली इंजन ऑयल फैक्ट्री का भंडाफोड़, TVS, JCB और TATA के ट्रेडमार्क का करते थे इस्तेमाल
दिल्ली में नकली इंजन ऑयल बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ है। क्राइम ब्रांच ने सरगना समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके गोदाम से भारी मात्रा में नकली इंजन ऑयल और मशीनें बरामद हुई हैं। आरोपी प्रतिष्ठित ब्रांडों के ट्रेडमार्क का इस्तेमाल कर नकली ऑयल बेचते थे और हर महीने लाखों रुपये कमाते थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

दिल्ली में नकली इंजन ऑयल बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में गाड़ियों के इंजन को नुकसान पहुंचाने वाले नकली इंजन ऑयल बनाने वाले रैकेट का भंडाफाेड़ा करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने सरगना समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पूर्वी गोकुलपुरी स्थित उनके गोदाम से लगभग चार हजार लीटर नकली इंजन ऑयल, नकली गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीलिंग, हीटिंग, तौलने वाली मशीनें और प्रिंटिंग डाई जब्त की गई।
गिरफ्तार आरोपियों में मास्टरमाइंड की पहचान शाहदरा के नवीन सिंघल उर्फ बाबी, यूपी जिला मैनपुरी के गौतम, रोहित, गोल्डी और शिवेंद्र के रूप में हुई है। मास्टमाइंड के अलावा चारों श्रमिक हैं और नकली इंजन ऑयल की पैकेजिंग करते थे।
उपायुक्त सुधीर कुमार यादव के मुताबिक, 12 अक्टूबर को पूर्वी गोकुलपुरी में टीवीएस, जेसीबी और टाटा मोटर्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रांडों के ट्रेडमार्क वाले नकली इंजन ऑयल और डुप्लीकेट पैकेजिंग सामग्री के बड़े पैमाने पर निर्माण, रिफिलिंग और भंडारण के बारे में जानकारी मिली थी।
सूचना पर एसीपी पंकज अरोड़ा की देखरेख में और इंस्पेक्टर अमित सोलंकी के नेतृत्व में गठित टीम ने मेसर्स प्रोटेक्ट आईपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि के साथ संदिग्ध परिसर में छापा मारा।
मास्टरमाइंड समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर और भारी मात्रा में नकली इंजन ऑयल और टीवीएस, जेसीबी और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों की नकली पैकेजिंग सामग्री जब्त की। पूछताछ से पता चला कि आरोपी 2004 से दिल्ली में अवैध फैक्ट्री चला रहे थे।
वे स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से कच्चा इंजन ऑयल, खाली कंटेनर, स्टिकर, रैपर और कार्टन खरीदते थे और उनमें घटिया लुब्रिकेंट ऑयल भरते थे। प्रतिष्ठित ब्रांडों के जाली लेबल, होलोग्राम और पैकेजिंग का इस्तेमाल करके, वे असली जैसे दिखने वाले नकली उत्पाद बनाते थे।
फिर नकली तेल को स्थानीय आटो दुकानों, वर्कशाप और थोक विक्रेताओं को रियायती दरों पर आपूर्ति किया जाता था। हर महीने, आरोपी लगभग 8 हजार से दस हजार लीटर नकली तेल बनाकर बेचते थे, जिससे उन्हें लगभग पांच लाख प्रति माह की कमाई होती थी। नकली पैकेजिंग मूल ब्रांडिंग के लगभग समान थी, जिससे आम खरीदारों या मैकेनिकों के लिए उसे पहचानना बेहद मुश्किल होता था।
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