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    कभी यूरोपीय स्टाइल मार्केट, अब कूड़े का ढेर... रामफल चौक में टूटी टाइलें और नुकीला कबाड़ बना जानलेवा

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 08:16 PM (IST)

    पश्चिमी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 7 का रामफल चौक मार्केट अपनी अनदेखी के कारण अब उपेक्षा का शिकार है। दुकानों के सामने की खुली जगह पर अवैध कब्जों और कचर ...और पढ़ें

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    पश्चिमी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 7 का रामफल चौक मार्केट अपनी अनदेखी के कारण अब उपेक्षा का शिकार है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। द्वारका सेक्टर 7 का मशहूर रामफल चौक मार्केट, जो कभी अपनी खूबसूरती और खुली जगहों के लिए जाना जाता था, अब नगर निगम की लापरवाही और दुकानदारों की मनमानी के कारण उपेक्षा के आंसू बहा रहा है। दुकानों के सामने की खुली जगह, जो लोगों के बैठने और घूमने के लिए थी, अब अवैध कब्जों और कचरे के खतरनाक ढेरों से भर गई है। स्ट्रीट फूड बेचने वाले अपना बचा हुआ खाना वहीं फेंक देते हैं।

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    रखरखाव की कमी के कारण कई जगहों पर टाइलें टूटी हुई हैं, जिससे गड्ढे बन गए हैं। बाजार में आने वाले खरीदार अक्सर अपने छोटे बच्चों को साथ लाते हैं। लेकिन, जिस जगह बच्चे खेलते थे, वहां अब दुकानों का फेंका हुआ सामान, जैसे लोहे के नुकीले टुकड़े, लकड़ी का कबाड़ और टूटे हुए कांच के दरवाजे बिखरे पड़े हैं। यह लापरवाही कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

    स्थानीय लोगों का आरोप है कि दुकानदारों और स्ट्रीट वेंडरों ने नगर निगम की मिलीभगत से इस सार्वजनिक ज़मीन को कूड़े का ढेर बना दिया है। गौरतलब है कि निगम ने पहले पूरे इलाके को सीमेंट की टाइलों से ढक दिया था और लोगों के बैठने के लिए बेंच भी लगाई थीं। उस समय यह जगह किसी आधुनिक यूरोपीय बाज़ार जैसी लगती थी, जहां स्थानीय लोग अपनी शामें बिताते थे। आज हालत यह है कि चलने के लिए भी मुश्किल से जगह बची है।

    रामफल चौक इलाका पूरे देश में एविएशन हब के तौर पर मशहूर है। पूरे देश से छात्र पायलट और क्रू मेंबर बनने के सपने लेकर यहां आते हैं। यह मार्केट इन छात्रों के लिए शांति के कुछ पल बिताने की जगह थी, लेकिन अब वह भी खत्म हो गई है।

    सड़कों पर बिखरे टूटे कांच और लोहे के कबाड़ के बीच चलना जान जोखिम में डालने जैसा है। प्रशासन को इस अतिक्रमण के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। -राजन, एविएशन छात्र

    शाम को यहां बैठना सुकून देने वाला होता था, लेकिन अब सिर्फ गंदगी और अवैध कब्जा है। फुटपाथ अब छात्रों के लिए नहीं, बल्कि कबाड़ के लिए हैं। -मनोज, स्थानीय निवासी