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    DUSU की ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपिका झा निलंबित, प्रोफेसर से मांगनी पड़ेगी लिखित माफी; देना होगा शपथपत्र

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 07:49 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय ने डूसू की संयुक्त सचिव दीपिका झा को प्राध्यापक से अभद्रता के आरोप में दो महीने के लिए निलंबित कर दिया है। उन्हें माफीनामा और शपथपत्र जमा करने का आदेश दिया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उनके कॉलेज परिसर में प्रवेश पर रोक रहेगी। आचरण समीक्षा समिति निलंबन पर पुनर्विचार करेगी। छात्र संगठनों में इस मुद्दे पर मतभेद हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैंपस में अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया है।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंबेडकर काॅलेज में प्राध्यापक के साथ हुई अभद्रता और कथित थप्पड़ मारने की घटना को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए डूसू की संयुक्त सचिव दीपिका झा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

    विश्वविद्यालय ने उन्हें दो माह के लिए निलंबित कर दिया है। यह निर्णय प्राक्टर कार्यालय द्वारा गठित जांच समिति की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर लिया गया, जिसमें दीपिका झा के आचरण को विश्वविद्यालय समुदाय में अनुशासन और शिष्टाचार के विरुद्ध पाया गया।

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    आदेश में साफ कहा गया है कि निलंबन अवधि के दौरान दीपिका झा किसी भी संबंधित काॅलेज परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेंगी। उन्हें प्राध्यापक सुजीत कुमार से लिखित में माफी मांगने के साथ-साथ विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को सम्मान देने का शपथपत्र भी जमा करना होगा। हालांकि, शैक्षणिक हित को देखते हुए उन्हें कक्षाओं में उपस्थित होने और परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी गई है।

    विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि दो माह की अवधि पूरी होने के बाद उनकी फाइल को आचरण समीक्षा समिति के समक्ष पुनर्मूल्यांकन के लिए रखा जाएगा। समिति की सिफारिश के अनुसार ही निलंबन जारी रखने या वापस लेने पर निर्णय लिया जाएगा।

    यह आदेश उच्च प्रशासनिक स्वीकृति के बाद लागू किया गया है। घटना के बाद डूसू ने भी अपनी आंतरिक समिति बनाई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। कई शिक्षकों ने विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और इसे अनुशासन बनाए रखने की दिशा में आवश्यक कदम बताया है।

    वहीं, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने सजा को हल्का बताते हुए कहा कि प्राध्यापक पर हाथ उठाना बेहद गंभीर अपराध है और केवल दो माह का निलंबन शर्मनाक है। इधर, छात्र संगठनों में भी इस मुद्दे को लेकर मतभेद उभर आए हैं।

    कुछ संगठनों का कहना है कि छात्र प्रतिनिधि होने के नाते दीपिका झा को जिम्मेदारी और शालीनता का परिचय देना चाहिए था, जबकि कुछ इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम बता रहे हैं।

    विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी संकेत दिया है कि ऐसी कोई भी घटना, जो शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित करती है, भविष्य में कठोरता से निपटाई जाएगी, ताकि कैंपस में अनुशासन और सुरक्षा कायम रहे।

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