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    दहेज हत्या केस में देवर पर क्रूरता का आरोप खारिज, सत्र अदालत ने कहा-कपड़ों की संख्या पर आपत्ति दहेज उत्पीड़न नहीं

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 09:51 PM (IST)

    दिल्ली में दहेज हत्या के एक मामले में, सत्र अदालत ने देवर पर क्रूरता के आरोप को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि कपड़ों की संख्या पर आपत्ति जताना दहेज उ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दहेज हत्या के मामले में महिला के देवर के खिलाफ क्रूरता के आरोप तय करने वाले आदेश को तीस हजारी की सत्र अदालत ने रद कर दिया। अदालत ने कहा कि शादी के समय दिए जाने वाले पारंपरिक उपहारों में से एक जोड़ी कपड़ों की कमी के बारे में सिर्फ एक आरोप को दहेज की मांग या उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई बाहरी चोट नहीं दिखी और मौत का कारण लिवर फेलियर बताया गया, जो मौत का एक प्राकृतिक कारण था।

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    सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आरोपित के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं पेश किए जा सके और मजिस्ट्रेट ने आरोपित के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश देकर स्पष्ट गैरकानूनी काम किया। अदालत ने उक्त आदेश मार्च 2022 के मजिस्ट्रेट अदालत के निर्णय को पलटते हुए दिया। मजिस्ट्रेट अदालत ने अपीलकर्ता के विरुद्ध दहेज क्रूरता का आरोप तय किया था।

    अदालत ने कहा कि 22 मार्च 2023 को मजिस्ट्रेट ने दीपक को छोड़कर मामले के बाकी सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। अदालत ने दीपक के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट के अनुसार दीपक पर आरोप था कि उसने शादी के समय दिए गए कपड़ों की संख्या पर आपत्ति जताई थी और मृतक महिला के माता-पिता का अपमान किया था।

    महिला ने 2016 में दीपक के भाई कुलदीप से शादी की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि शादी के समय दहेज के कई सामान मांगे गए थे और सात अक्टूबर 2018 को जब मानसी गर्भवती हुई थी, तब उसके पति और ससुराल वालों द्वारा उसके इलाज में लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई। नांगलोई पुलिस स्टेशन ने महिला की मौत के बाद उसकी बहन की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी की थी।

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