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    दिल्ली के डॉक्टरों का अद्भुत कारनामा, कटे हुए पैर की उंगली से बनाया हाथ का अंगूठा

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 10:23 AM (IST)

    दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में डॉक्टरों ने एक अनोखा ऑपरेशन किया। उन्होंने एक 20 वर्षीय युवक के कटे हुए पैर की उंगली से उसके हाथ का अंगूठा बनाया और सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया। युवक ने सड़क दुर्घटना में अपना पैर और अंगूठा खो दिया था। डॉक्टरों ने बताया कि इस सर्जरी से युवक के हाथ की कार्यक्षमता वापस आ गई है।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में सर गंगा राम अस्पताल में चिकित्सकों की विशेषज्ञ टीम ने काटे गए पैर की उंगली से हाथ का अंगूठा बनाकर उसे मरीज के हाथ में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित भी कर दिया।

    अस्पताल के प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और हैंड माइक्रोसर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने 20 वर्षीय युवक के हाथ का अंगूठा उसी के काटे गए पैर की उंगली से सफलतापूर्वक दोबारा बनाया। यह जटिल ऑपरेशन सड़क दुर्घटना में अपना बायां पैर (घुटने के नीचे तक) और बाएं हाथ के अंगूठे को गंवाने वाले युवक पर किया गया।

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    बताया कि सड़क दुर्घटना के तुरंत बाद मरीज को अस्पताल लाया गया, जहां ट्रमा टीम ने बिना समय गंवाए उपचार प्रारंभ किया। जांच में पाया गया कि मरीज के पैर और अंगूठे में कुचलने (क्रश) की गंभीर चोट थी, जिसके कारण उन्हें दोबारा जोड़ना या ठीक करना संभव नहीं था।

    वहीं, ऐसे में चिकित्सकों ने युवक के परिजनों को अवगत कराते हुए कठीन निर्णय लिया और काटे गए पैर की दूसरी उंगली का उपयोग कर मरीज के हाथ के लिए नया अंगूठा तैयार करते हुए प्लास्टिक, कास्मेटिक और माइक्रोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. महेश मंगले के नेतृत्व में उनकी टीम ने सफलतापूर्वक आपरेशन कर युवक के हाथ में प्रतारोपित कर दिया।

    चिकित्सकों का दावा है कि यह सर्जरी न केवल हाथ की कार्यात्मकता (फंक्शनैलिटी) को बहाल करने में सफल रही, बल्कि जिस अंग को बचाया नहीं जा सकता था, उसका सार्थक उपयोग कर लिया गया। आपरेशन में डा. निखिल झुनझुनवाला (कंसल्टेंट, हेड और माइक्रोसर्जन), डा. अर्जुन कृष्णा (डीएनबी रेजीडेंट) और डा. ऋषिका बचानी (डीएनबी रेजीडेंट) ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया।

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    सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में माइक्रोसर्जरी की शुरुआत वर्ष 1981 में हुई थी। विभागाध्यक्ष डा. मंगले ने बताया कि तब से अब तक यह विभाग देश में रीइंप्लांटेशन (कटे हुए अंगों को दोबारा जोड़ने) का बड़ा केंद्र बन गया है। उन्होंने बताया कि अब तक 700 से अधिक रीइंप्लांटेशन किए जा चुके हैं। इनमें हाथ की उंगलियां, पैर की उंगलियां, जननांग, सिर की त्वचा (स्कैल्प), कान और ऊपरी अंग शामिल हैं।

    कहा कि हादसे के समय सबसे महत्वपूर्ण यह होता है कि मरीज और कटे हुए अंग को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचाया जाए। दुर्घटनास्थल से अंग को सुरक्षित रखकर और सही तापमान में लाने से उसकी जीवितता (वायबिलिटी) बनी रहती है, जिससे प्रत्यारोपण सफल हो पाता है।