वॉट्सएप पर वीडियो कॉल से ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 50 करोड़ ठगे, सात राज्यों में छापेमारी कर 10 जालसाज दबोचे
दिल्ली पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट कर उगाही करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 10 जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपितों के ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एक बड़े डिजिटल अरेस्ट कर उगाही करने वाले गिरोह का दक्षिण-पूर्व जिले की शाहीन बाग थाना पुलिस की टीम ने भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 10 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मास्टरमाइंड मोहम्मद बुगारी पीपी और मोहम्मद शाहिद टी के रूप में हुई है।
दोनों केरल के रहने वाले हैं। वहीं गिरफ्तार अन्य आरोपितों की पहचान धर्मेंद्र चौहान, सोमवीर सैनी, मोहम्मद अहतेशामुल हक, संतोष कुमार खंडाई, नितेश कुमार, देव उर्फ सोनू एसपी, इम्तियाज और महेश्वर पुटिया उर्फ अजय के रूप में हुई है।
जांच में सामने आया है कि आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 66 शिकायतें दर्ज हैं और करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का लेन-देन इनसे जुड़ा हुआ है। गिरोह के दो अन्य सदस्य अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
पुलिस ने इस कार्रवाई के तहत दिल्ली, केरल, मुंबई (महाराष्ट्र), ओडिशा, पंजाब, उप्र और हरियाणा सहित सात राज्यों में एक साथ छापेमारी की। इस दौरान एक आरोपित अहतेशामुल हक को मुंबई एयरपोर्ट पर हवाईजहाज से उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह दुबई भागने की फिराक में था।
वहीं, गिरोह के दोनों मास्टरमाइंड को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से दबोचा गया। इनके कब्जे से 10 मोबाइल फोन जिसमें वाॅट्सएप चैट, वायस नोट्स, अकाउंट डिलीवरी प्रूफ और ट्रांजेक्शन डिटेल्स शामिल हैं, इसके अलावा दो डेबिट कार्ड, 10 बिना नाम वाले डेबिट व क्रेडिट कार्ड और एक कार बरामद हुई है। इनसे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।
पुलिस उपायुक्त डाॅ. हेमंत तिवारी के मुताबिक, सात दिसंबर को शाहीन बाग के तनबीर अहमद ने शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि उसे वाॅट्सएप वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट किया गया। काॅलर ने खुद को कर्नाटक पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उसका आधार नंबर व मोबाइल नंबर गंभीर अपराधों में इस्तेमाल हुआ है।
पीड़ित को 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर रखा गया, जिसके बाद गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने 99,888 रुपये ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। पीड़ित की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई।
मामले में आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए इंस्पेक्टर दिनेश कुमार की देखरेख में एसआई गरवित, अक्षय डागर, मनोज, नीरज व हेडकांस्टेबल मनीष ने जांच शुरू की। जांच में सामने आया है कि आरोपित लंबे समय से डिजिटल प्लेटफार्म और बैंकिंग चैनलों का दुरुपयोग कर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे थे।
सात राज्यों में छापेमारी कर की गिरफ्तारियां
पुलिस टीम ने दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र (मुंबई), ओडिशा, पंजाब, यूपी और हरियाणा समेत सात राज्यों में एक साथ छापेमारी की। तकनीकी निगरानी, वित्तीय लेन-देन की जांच और फील्ड इंटेलिजेंस के आधार पर आरोपितों की लोकेशन ट्रैक की गई। पुलिस ने सबसे पहले धर्मेंन्द्र और सोमवीर को दबोचा। पूछताछ के दौरान मोहम्मद अहतेशामुल हक का नाम सामने आया।
इस बीच पुलिस को पता चला कि मोहम्मद अहतेशामुल दुबई भागने की फिराक में है। पुलिस ने तुरंत आरोपित की एलओसी खुलवाई। जिसके बाद मुंबई से एफआरआरओ ने उसे हवाई जहाज से गिरफ्तार किया। इन तीनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने संतोष को पकड़ा और मोहम्मद बुगारी व मोहम्मद को शाहिद को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से दबोचा।
आराेपित ऐसे करते थे ठगी
आरोपित 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम चला रहे थे, जिसमें पीड़ितों को झूठे क्रिमिनल केस की धमकी देकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता था। पुलिस अधिकारी बनकर वाट्सएप वीडियो काॅल किए जाते थे, जिसमें आधार के गलत इस्तेमाल और क्रिमिनल केस से जुड़ी झूठी कहानियों का सहारा लिया जाता था।
इनमें धर्मेंद्र चौहान म्यूल अकाउंट की खरीद और ठगी की रकम निकालने में सक्रिय भूमिका निभा रहा था, जबकि सोमवीर सैनी अकाउंट की व्यवस्था में मदद करता था। मोहम्मद एहतेशामुल हक मुख्य समन्वयक था, जो म्यूल अकाउंट जुटाने, फंड ट्रांसफर और कैश डिलीवरी का काम संभालता था।
संतोष कुमार खंडाई अवैध सिम एक्टिवेशन और वाॅट्सएप ऑथेंटिकेशन में शामिल था। मुहम्मद बुगारी ठगी की कमाई संभालता था, जिसके बैंक खातों पर कई साइबर शिकायतें दर्ज हैं, जबकि मुहम्मद शाहिद डेबिट कार्ड और संचार व्यवस्था का मुख्य हैंडलर था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।