देवोत्थान एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम विवाह के साथ चातुर्मास का समापन, दिल्ली के मंदिरों में भक्ति का सागर उमड़ा
दिल्ली के मंदिरों में देवोत्थान एकादशी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। तुलसी और शालिग्राम का विवाह हुआ, जिससे चातुर्मास समाप्त हो गया। मंदिरों में भजन-कीर्तन हुए और भगवान विष्णु व लक्ष्मी की विशेष पूजा की गई। इस अवसर पर भक्ति का अद्भुत माहौल देखने को मिला।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देवोत्थान एकादशी पर चार माह की लंबी योगनिद्रा से भगवान विष्णु के जागने पर मध्य दिल्ली के मंदिर भक्ति के रंग में सराबोर हो उठे। आज के दिन जगह-जगह मंदिर परिसरों में तुलसी-शालिग्राम विवाह का भव्य आयोजन हुआ। इसके साथ ही चातुर्मास का समापन हुआ और सभी मांगलिक कार्यों का विधिवत शुभारंभ हो गया।
सदर बाजार स्थित गिंदौड़ियान मंदिर में उत्सव का माहौल देखते ही बन रहा था। पारंपरिक उत्साह के बीच कुछ महिलाएं बैंडबाजे के साथ भगवान शालिग्राम को लेकर मंदिर पहुंची। जहां पहले से मौजूद महिला श्रद्धालुओं ने भजन गाकर उनका भावपूर्ण स्वागत किया।
वरमाला के बाद महिलाओं ने तुलसी के पवित्र पौधे को शालिग्राम के साथ गोद में लेकर हवन कुंड के चारों ओर सात फेरे कराए और मंगलगीत गाए। विवाह की रस्में पूरी आस्था और उल्लास के साथ संपन्न हुईं। रस्मों के बाद महिलाओं ने उपहारों के साथ तुलसी माता को उपहार भेंट कर बेटी की तरह भावभीनी विदाई दी।
करोल बाग के पास झंडेवालान रोड स्थित मंदिर में भी विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न हुआ। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। जिन्होंने शेषनाग पर शयन करते हरि विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की प्रतिमा का जलाभिषेक कर परिक्रमा लगाई और श्रद्धालुओं ने कथा सुनी। जिससे पूरा मंदिर ठाकर जी के जयकारों के उद्घोषों से गूंज उठा।
हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह दिन जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। एकादशी के चलते बाजार में भी सुबह से ही रौनक दिखी। फूल, गन्ने और अन्य पूजन सामग्री खरीदने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वहीं, देवउठानी एकादशी को अबूझ साया रहा। शाम होते ही दिल्ली शहनाइयों की आवाज से गूंज उठी।

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