प्राइवेट बैंकों को आरटीआई के दायरे में लाने की मांग, दिल्ली HC ने केंद्र और आरबीआई से मांगा जवाब
प्राइवेट बैंकों को आरटीआई के दायरे में लाने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न देने पर चुनौती दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से जवाब मांगा है और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका में बैंकों को सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने की मांग की गई है।
-1760010550027.webp)
प्राइवेट बैंकों आइटीआई के दायरे में लाने की मांग।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। निजी बैंक को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने का निर्देश देने और इसे सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने केंद्र सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी 2026 को होगी।
याचिकाकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने एक निजी बैंक से कुछ जानकारी मांगी थी, जिसे यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि निजी बैंक होने के नाले वह आरटीआई के दायरे में नहीं आते हैं।
निजी बैंक के जवाब को सुभाष चंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष चुनाैती दी। हालांकि, सीआईसी ने 10 जून 2024 को भी उनके आवेदन को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि आरटीआई अधिनियम की धारा-दो (एच) के तहत निजी बैंक पब्लिक अथाॅरिटी नहीं हैं।
सीआईसी के आदेश को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकारी बैंक की तरह ही निजी बैंक भी जनता के निवेश से चलते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि सरकारी बैंक आरटीआई के दायरे में आते हैं और इन बैंकों को सार्वजनिक व निजी के बीच बांटना मनमाना व बिना किसी कारण के है।
यह भी तर्क दिया कि आरबीआई बैंकिंग विनियमन अधिनियम-1949 की धारा 35 के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के बैंकों का भी पीरिऑडिक निरीक्षण करता है।
उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे में सीआईसी का 10 जून 2024 को आदेश असंवैधानिक व आधाहीन है। उन्होंने उक्त आदेश को रद करने व निजी बैंकों को सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने की मांग की।
यह भी पढ़ें- 'चैतन्यानंद को संन्यासी वस्त्र पहनने का हक नहीं...', पुलिस की टिप्पणी को अनुचित बताते हुए कोर्ट ने मांगा जवाब
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।