'चैतन्यानंद को संन्यासी वस्त्र पहनने का हक नहीं...', पुलिस की टिप्पणी को अनुचित बताते हुए कोर्ट ने मांगा जवाब
पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से चैतन्यानंद की याचिका पर विस्तृत जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने जेल में संन्यासी वस्त्र पहनने और आध्यात्मिक पुस्तकों तक पहुंच की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने पुलिस के जवाब पर आपत्ति जताई और कहा कि जेल मैनुअल के अनुसार ही जवाब होना चाहिए। वकील ने चैतन्यानंद की उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए अतिरिक्त बिस्तर की मांग की। कोर्ट ने जब्ती पंचनामा की प्रति पर भी पुलिस से जवाब मांगा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो चैतन्यानंद की उस अर्जी पर विस्तृत जवाब दाखिल करें, जिसमें उन्होंने जेल में रहते हुए संन्यासी वस्त्र पहनने और आध्यात्मिक पुस्तकों तक पहुंच की अनुमति मांगी है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अनीमेश कुमार ने कहा कि जांच अधिकारी की ओर से दाखिल जवाब उचित नहीं है और उसमें जेल मैनुअल के किसी भी प्रावधान का उल्लेख नहीं किया गया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्राथमिक दृष्टि से ऐसा प्रतीत होता है कि कपड़ों और पुस्तकों पर कोई रोक नहीं है, तो मैं कैसे रोक लगा सकता हूं।
कोर्ट ने यह भी आपत्ति जताई कि पुलिस के जवाब में कुछ अनुचित टिप्पणियां की गईं, जैसे कि आरोपी को धार्मिक वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा, हमें ऐसे कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
जवाब केवल जेल मैनुअल के अनुसार ही होना चाहिए। आरोपी की ओर से वकील मनीष गांधी ने दलील दी कि जेल नियमों के तहत किसी भी विचाराधीन कैदी को अपनी पसंद के कपड़े पहनने से नहीं रोका जा सकता है।
वकील ने दलील दी कि आरोपी की उम्र 65 वर्ष से अधिक है और उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, इसलिए उसे अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध कराया जाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले में उचित और संपूर्ण जवाब दाखिल करे।
चैतन्यानंद की इस अर्जी पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी। इसके अलावा, चैतन्यानंद सरस्वती द्वारा जब्ती पंचनामा की प्रति उपलब्ध कराने की मांग पर दाखिल दूसरी अर्जी पर भी कोर्ट ने पुलिस से जवाब मांगा है और सुनवाई की तारीख शुक्रवार तय की है।
वकील मनीष गांधी ने दलील दी कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत जब्ती पंचनामा की प्रति देने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें आशंका है कि जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेज किसी अन्य मामले में भी प्रयोग किए जा सकते हैं।
वहीं, लोक अभियोजक ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दिशा-निर्देशों के अनुसार आरोपपत्र दाखिल होने से पहले जब्ती पंचनामा की प्रति आरोपी को नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि चैतन्यानंद को दिए जा रहे सन्यासी भोजन और दवाओं से संबंधित अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा।
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