दिल्ली में 100 साल से औद्योगिक विकास का गवाह है फ्रेंड्स कॉलोनी, 2-3 फैक्ट्रियों से हुई थी शुरुआत; आज संख्या 2000 के पार
फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र ने अपनी शताब्दी मनाई, जो 1925 में 2-3 फैक्ट्रियों से शुरू होकर अब 2,000 से अधिक इकाइयों का घर बन गया है। यह क्षेत्र द ...और पढ़ें
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शताब्दी वर्ष समारोह में फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र में 25 वर्ष से कार्य कर रहे श्रमिक को सम्मानित करतीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता व उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा। फोटो- जागरण
स्वदेश कुमार, नई दिल्ली। एक तरफ जीटी रोड और दूसरी तरफ रेलवे लाइन। यानी माल ढुलाई के लिए सबसे मुफीद जगह पर 1925 में दो-तीन फैक्ट्रियों के साथ एक औद्योगिक क्षेत्र की शुरुआत हुई। तब पता होता था फैक्ट्री का नाम, जीटी रोड, शाहदरा। इसी पते पर पाती से लेकर व्यक्ति तक पहुंच जाते थे। 1953 में जब यहां की फैक्ट्रियों को लाइसेंस देने की शुरुआत हुई तो इनकी संख्या 50 से अधिक हो चुकी थी।
पहला लाइसेंस शाहदरा एल्यूमिनियम नामक फैक्ट्री को मिला, जिसके कर्ताधर्ता चानन पाल सिंह थे। बर्तन बनाने की यह फैक्ट्री अब भी मौजूद है। इसी लाइसेंस पर पहली बार यह क्षेत्र फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र के रूप में दर्ज हुआ। लेकिन यह औद्योगिक क्षेत्र अब सौ वर्ष का हो चुका है। सौ वर्ष के बाद अब यहां दो हजार से अधिक फैक्ट्रियां चल रही हैं।
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इस तरह से यह सौ साल में दिल्ली में औद्योगिक विकास का गवाह भी बन चुका है। रविवार को इसने शताब्दी समारोह मनाया तो मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ केंद्रीय परिवहन व सड़क राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली के उद्योग व पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, कई विधायक व पार्षद और उद्यमियों का जमावड़ा भी लगा।
बर्तन, बिजली के तार, एल्यूमिनियम से जुड़े उत्पाद होते हैं तैयार
यहां के उद्यमियों ने बताया कि पहले इसके आसपास खेत होते थे। बाद में इन जमीनों का अधिग्रहण कर झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र का गठन किया गया। कुछ हिस्से पर रिहायशी कॉलोनियां भी बनीं। आज यह क्षेत्र यह लघु और कुटीर उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। शुरुआत में यहां बर्तनों पर कढ़ाई की जाती थी।
आज बर्तन के साथ बिजली के तार, एल्यूमिनियम से जुड़े उत्पाद बनाने वालीं फैक्ट्रियां हैं। यहां से देशभर में सामान भेजा जाता है। राज्य की जीडीपी में हर वर्ष 100 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देने वाले इस क्षेत्र में 20 हजार श्रमिक कार्यरत हैं। यानी इतने परिवारों की रोजी-रोटी का यह केंद्र है।
फैक्ट्री का पहला लाइसेंस लेने वाले चानन पाल सिंह के 75 वर्षीय पुत्र मलविंदर पाल सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने फैक्ट्री का कामकाज देखना शुरू किया तो यहां वाहनों की आवाजाही में किसी तरह का अवरोध नहीं था। गलियां चौड़ीं थीं। फैक्ट्रियां का भूखंड बड़ा होता था। अब छोटे छोटे भूखंड हो गए हैं। इनमें फैक्ट्रियां चल रही हैं।
इसकी एक वजह यह भी है कि जिन परिवारों की फैक्ट्रियां थीं। बाद में उनमें बंटवारे होते गए। इस तरह से भूखंड छोटे होते गए। गलियां भी संकरी होने लगी। लेकिन इसके बाद भी अपनी ऐतिहासिकता को इसने बरकरार रखा है। फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि यह क्षेत्र पर्यावरण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहण कर रहा है।
इस क्षेत्र में कई सालों से संयुक्त जल शोधन संयंत्र है। इसका पानी पीडब्ल्यूडी और अन्य विभाग सड़कों के किनारे छिड़काव के लिए करते आ रहे हैं। केंद्रीय परिवहन और सड़क राज्य मंत्री ने याद किया जुड़ाव कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय परिवहन व सड़क राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने इस औद्योगिक क्षेत्र से अपने जुड़ाव के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना प्रिंटिंग का काम इसी क्षेत्र में शुरू किया था। उन्होंने एसोसिएशन के पदाधिकारियों का धन्यवाद किया जो यहां के लोगों को जोड़े हुए हैं।

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