दिल्ली में महिलाओं के लिए खुला नाइट शिफ्ट का रास्ता, लिखित सहमति और दोगुना ओवरटाइम वेतन जरूरी
दिल्ली सरकार ने महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे दी है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। महिलाओं की लिखित सहमति, सुरक्षित परिवहन और उचित सुरक्षा अनिवार्य है। ओवरटाइम करने पर दोगुना वेतन मिलेगा। नियमों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार महिलाओं को समान अवसर देना चाहती है, लेकिन उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करना चाहती है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में अब महिलाएं रात की पाली में भी काम कर सकेंगी। इसके लिए दिल्ली सरकार के श्रम विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार महिलाकर्मी दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रात के समय काम कर सकती हैं लेकिन इसके लिए उनकी लिखित सहमति अनिवार्य है। ओवरटाइम के बदले उन्हें दोगुना वेतन मिलेगा। नियोक्ता को आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) भी गठित की जाएगी।
रोजगार की शर्तों से संबंधित दो प्रविष्टियां जोड़ीं
दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रात्रि पाली में महिलाकर्मियों के काम करने से संबंधित प्रस्ताव को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले ही मंजूरी दे दी थी। दिल्ली सरकार के श्रम विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक अधिसूचना में दिल्ली दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1954 के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार देने तथा उनके रोजगार की शर्तों से संबंधित दो प्रविष्टियां जोड़ी गईं।
प्रतिदिन 9 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे की नौकरी
इसके अनुसार किसी भी कर्मी को प्रतिदिन 9 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति नहीं होगी। महिला कर्मी से ओवर टाइम कराने की स्थिति में नियोक्ता को उसे सुरक्षा, संरक्षा और परिवहन की उपयुक्त व्यवस्था करनी होगी। किसी भी कर्मी से लगातार पांच घंटे से अधिक काम कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि किसी प्रतिष्ठान में अलग-अलग पाली में कार्य होता है तो किसी भी कर्मी को केवल रात्रि पाली में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
कार्यालयों में रखना होगा इन बातों का ख्याल
- महिला श्रमिकों को नियुक्त करने वाले प्रत्येक नियोक्ता को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत आईसीसी का गठन करना होगा।
- नियोक्ता को प्रतिष्ठान सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। इसके फुटेज को कम से कम एक माह तक सुरक्षित रखना होगा। मुख्य निरीक्षक की मांग पर उसे प्रस्तुत करना होगा।
- राष्ट्रीय अवकाशों पर काम के बदले प्रतिपूरक अवकाश, साप्ताहिक अवकाश, न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, बीमा और बोनस जैसे कानूनी लाभ भी अनिवार्य रूप से देने का प्रविधान है।
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