DU ने बीएड के पाठ्यक्रम में किया बदलाव, जेंडर और सोसायटी के दो पेपर जोड़े; लैंगिक भेदभाव भी पहचानेंगे
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने बीएड पाठ्यक्रम में बदलाव किया है। अब प्रशिक्षु शिक्षक कक्षा, पाठ्यपुस्तक और शिक्षा नीति में पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने बीएड पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया है। अब प्रशिक्षु शिक्षक सिर्फ पढ़ाने वाले नहीं होंगे, बल्कि कक्षा, पाठ्यपुस्तक और शिक्षा नीति में मौजूद पितृसत्ता और लैंगिक (जेंडर) भेदभाव की पहचान करेंगे और उस पर सवाल उठाएंगे।
कुलपति योगेश सिंह ने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर इस बदलाव को मंजूरी दी। यह फैसला हाल के वर्षों में शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है, जिन मामलों में अपमान, शारीरिक दंड, गलत लैंगिक पहचान और भेदभावपूर्ण व्यवहार की बातें सामने आई थीं।
पाठ्यक्रम में जेंडर एवं सोसायटी नाम का नया पेपर शामिल है। इसके तहत छात्र एनसीईआरटी और निजी प्रकाशकों की किताबों का विश्लेषण करेंगे, लड़कियों, एससी/एसटी और अल्पसंख्यक छात्रों के आंकड़े देखेंगे और सरकारी योजनाओं जैसे लाड़ली योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और राष्ट्रीय बालिका शिक्षा कार्यक्रम की समीक्षा करेंगे।
छात्र--छात्राओं की शिक्षा से जुड़े सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण कर यह समझने का प्रशिक्षण दिया जाएगा कि कहां पहुंच में कमी है और कहां सीखने के नतीजों में अंतर दिखाई देता है।
तीन यूनिट में बंटे इस कोर्स की पहली यूनिट में लैंगिक सामाजिक रचना, पितृसत्ता, सत्ता संरचना और लैंगिक व यौन के अंतर को समझाया जाएगा। दूसरी यूनिट में नारीवाद की आवश्यकता, परिवार और स्कूलों में समाजीकरण, पेशा और पहचान जैसे विषय शामिल हैं।
इसमें मीडिया, साहित्य और रोजमर्रा की जिंदगी में मौजूद जेंडर स्टीरियोटाइप को समझने के साथ-साथ एलजीबीटीक्यूआइए समुदाय से जुड़े विमर्श को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है।
प्रायोगिक विषय में छात्र विज्ञापन, गाने, फिल्में और पाठ्य पुस्तकों का विश्लेषण करेंगे। असाइनमेंट में अलग-अलग लैंगिक पहचान वाले बच्चों की दिनचर्या का अध्ययन और स्कूल शिक्षा में लैंगिक समानता पर प्रोजेक्ट करना शामिल है।
रीडिंग लिस्ट में कमला भसीन की किताबें पितृसत्ता क्या है और लैंगिकता को समझना के साथ-साथ भीमराव अंबेडकर की भारत में जातियां और सरकारी रिपोर्टें शामिल की गई हैं।
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