दिल्ली का सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट होगा जमींदोज, ट्विन टावर की तरह विस्फोट से नहीं मंजिल दर मंजिल तोड़ने की तैयारी
दिल्ली के सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को गिराने की योजना बन चुकी है। यह इमारत को ट्विन टावर की तरह विस्फोट से नहीं, बल्कि मंजिल दर मंजिल तोड़ने की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, आसपास के क्षेत्रों को कम नुकसान हो, इसलिए सुरक्षित तरीका अपनाया जाएगा। इस पूरे काम के लिए एक कंपनी को चार महीने का समय दिया गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट राजधानी की ऐसी पहली बहुमंजिला आवासीय इमारत होगी, जिसे नोएडा के ट्विन टावर की तरह जमींदोज किया जाएगा। अंतर केवल इतना है, ट्विन टावर को इम्प्लोसिव तकनीक के माध्यम से विस्फोट से गिराया गया था, जबकि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को श्रमिक दसवें फ्लोर से (टाॅप टू बाॅटम) मंजिल दर मंजिल तोड़ेंगे।
जर्जर है इमारत और आस-पास की जनसंख्या है ज्यादा
अपार्टमेंट में 10-10 मंजिला दस टावर और छह-छह मंजिला दो टावर हैं, जिन्हें अगले कुछ दिनों में ध्वस्त किया जाना है। अपार्टमेंट के आस-पास सघन जनसंख्या घनत्व को देखते हुए विस्फोटक के बजाय मैन्युअली तोड़ने का निर्णय लिया गया है। एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि विस्फोट से गिराने का तरीका इसलिए भी नहीं आजमाया जा रहा है, क्योंकि भवन का ढांचा इतना कमजोर है कि उसमें विस्फोटक पदार्थ रखने के लिए ड्रिल किया जाना भी जोखिम भरा है। ट्विन टावर में विस्फोटक रखने के लिए 9800 छेद किए थे।
अपार्टमेंट को सभी 336 फ्लैट मालिकों ने छोड़ा
अब चूंकि सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को सभी 336 फ्लैट मालिक छोड़ चुके हैं, इसलिए डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) अब अपार्टमेंट की ध्वस्तीकरण की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटा है। सूत्र बताते हैं कि अपार्टमेंट को मशीन व श्रमिकों की मदद से मैन्युअली गिराने का निर्णय लिया गया है। यह अनुमान लगाया जा रहा था कि इस अपार्टमेंट को भी नोएडा के ट्विन टावर की तरह विस्फोटक पदार्थ के माध्यम से गिराया जाएगा।
चार महीने में गिरानी होगी इमारत
डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि इमारत गिराने के लिए कंपनी को चार महीने का समय दिया जाएगा। इस समयावधि के दौरान सभी 12 टावर में बने 336 फ्लैट तोड़ने हैं और साथ ही साथ सारा मलबा हटाना भी है। अधिकारी ने बताया कि इस कार्य में क्रेन का इस्तेमाल किया जा सकता है। आजकल ऐसी क्रेन हैं, जिनकी मदद से 15 मंजिला भवन को मंजिल दर मंजिल तोड़ा जा सकता है।
इसलिए विस्फोटक नहीं होगा इस्तेमाल
अगस्त 2022 में नोएडा के ट्विन टावर जिस तकनीक से गिराए गए थे, उस तकनीक को आज भी बेहतरीन व सुरक्षित बताया जा रहा है। सवाल उठता है कि दिल्ली के सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को फिर क्यों नहीं इस तकनीक से ध्वस्त नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि विस्फोट से भवन गिराने की इम्प्लोसिव तकनीक (ऐसी तकनीक जिसमें विस्फोट के बाद मलबा बाहर के बजाय अंदर की ओर जाता है) काफी महंगी है।
ट्विन टावर गिराने वाली टीम में कई विदेशी तकनीशियन भी शामिल हुए थे। दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि अपार्टमेंट की इमारत का ढांचा कमजोर है, इसमें विस्फोटक भरने के लिए छेद करना भी जोखिम भरा है। 29 मंजिला ट्विन टावर को गिराने के लिए 9800 छेद करने पड़े थे। तीसरा कारण सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट की भौगोलिक स्थिति है। यह जगह सघन जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र माना जाता है।
अपार्टमेंट के नजदीक एसएफएस फ्लैट्स सोसायटी है। रोड के दूसरी ओर आवास व व्यापारिक संस्थान हैं। हालांकि, ट्विन टावर के पास बहुमंजिला भवन होनेे बावजूद विस्फोट से ध्वस्त किया गया। कुछ लोग ध्वस्तीकरण के बाद धूल के गुबार व प्रदूषण फैलने की आशंका जता रहे हैं, लेकिन ट्विन टावर गिराने के बाद धूल व प्रदूषण की बात निर्मूल साबित हुई थी।
एक्सपर्ट ओपिनियन...
"भवन के आकार, ढांचे की स्थिति व आसपास की इमारतों के बीच दूरी के आधार भवनों को गिराने का तरीका चुना जाता है। भवन दो तरीके से गिराया जा सकता है- मैकेनिकल डेमोलिशन और इम्प्लोसिव तकनीक से। नाेएडा के ट्विन टावर को इम्पलोजन तकनीक से ध्वस्त किया गया था। 10 मंजिला भवन तक मैकेनिकल आधार पर डेमोलिशन सही माना जाता है। इस तकनीक में हैवी मशीनरी से भवन को ऊपर से नीचे की ओर टुकड़ों में तोड़ा जाता है। यह सस्ती है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इम्पलोजन तकनीक महंगी जरूर है, लेकिन बेहतरीन है। अनुमानित तीन से चार गुणा महंगी है। इम्प्लोसिव तकनीक में मलबे को हैंडल करना बेहद खर्चीला है।"
-दीपक गुप्ता, सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग
नंबर गेम
- 2007 और 2009 के बीच हुआ था सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट का निर्माण। 2011-12 में डीडीए ने फ्लैट आवंटित किए।
- 12 टावर में से दस टावर 10-10 मंजिला और दो टावर छह-छह मंजिला हैं।
- 336 फ्लैट में से 224 एचआइजी (उच्च आय वर्ग) हैं और 112 एमआइजी (मध्यम आय वर्ग)
- आवंटन के पहले साल ही कंक्रीट गिरने की शिकायत आई, इसके बाद कंक्रीट गिरने का सिलसिला लगातार जारी रहा
- 2022 में आइआइटी दिल्ली की जांच में अपार्टमेंट को खतरनाक बताया गया
- 2023 में लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
- 23 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने तीन महीने के भीतर अपार्टमेंट खाली करने और पूरी इमारत तोड़कर नए सिरे से बनाने का आदेश दिया
- 12 अक्टूबतर 2025 को कोर्ट के निर्देश पर अपार्टमेंट की बिजली-पानी आपूर्ति काट दी
मात्र 9-12 सेकेंड में ध्वस्त हो गए थे दोनों टावर
नोएडा में मात्र 9-12 सेकेंड में दोनों टावर जमीन पर धूल और मलबे में बदल गए थे। दोनों टावरों के पिलर में 9800 छेद किए गए थे। इनमें 3500 किलो बारूद लगाया गया था। 120 ग्राम से 365 ग्राम तक हर छेद में विस्फोटक लगाया गया था। 40 लोगों की ओर से विस्फोटक लगाया गया और 10 विशेषज्ञों की ओर से पूरी प्रक्रिया में योगदान दिया गया था।
दो-दो विस्फोट किए गए थे एपेक्स और सियान टावर में। सियान टावर में पहला विस्फोट हुआ, एपेक्स में दूसरा विस्फोट किया गया। 200 से 700 मिली सेकंड के अंतराल में सभी तलों में विस्फोट किया गया। ट्विन टावर 28 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर गिराए गए थे।

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