दिल्ली के सरकारी स्कूलों की 10,000 कक्षाओं में लगेंगे एयर प्यूरीफायर, 38 हजार स्कूलों का किया चयन
दिल्ली के सरकारी स्कूलों की 10,000 कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। सरकार ने 38 हजार स्कूलों का चयन किया है। यह कदम दिल्ली में वायु प्रदूषण के ...और पढ़ें

दिल्ली सचिवालय में प्रेसवार्ता में संबोधित करते दिल्ली सरकार के शहरी विकास एवं शिक्षा मंत्री आशीष सूद । जागरण
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने सरकारी स्कूलों की 10,000 कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने टेंडर जारी कर दिया है। आने वाले समय में दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों की करीब 38 हजार कक्षाओं को एयर प्यूरीफायर की सुविधा से लैस किया जाए। दिल्ली सरकार ने कहा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि जिससे प्रदूषण का असर बच्चों की शिक्षा व सेहत पर न पड़े।
बच्चों को स्वच्छ हवा देने का प्रयास
शिक्षा और शहरी विकास मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को प्रदूषण के मुद्दे पर बात रखते हुए इस योजना के बारे में जानकारी दी। सूद के अनुसार दिल्ली में 38,000 कक्षाएं हैं और इनमें चरणबद्ध तरीके से एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्मार्ट तरीके से पढ़ें और स्वच्छ हवा में सांस लें। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 1,047 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं।
500 करोड़ की अतिरिक्त सहायता दी जा रही
प्रदूषण नियंत्रण के लिए किए जा रहे अपनी सरकार के उपायों पर प्रकाश डालते हुए सूद ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार दिखावटी उपायों के बजाय दीर्घकालिक प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि धूल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन उपलब्ध कराई जाएगी। नगर निगम को वित्तीय रूप से मजबूत करने के लिए 175 करोड़ जारी करने के बाद 500 करोड़ की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है।
18 लाख मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण का टेंडर
सूद ने दोहराया कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि पड़ोसी राज्यों की गतिविधियां यहां की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर ठोस कदम उठाकर इसके प्रभाव को कम किया जा रहा है।
उन्होंने भलस्वा लैंडफिल साइट को सितंबर 2026 तक पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य के बारे में बताया कि इसके लिए 18 लाख मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण का टेंडर जारी हो चुका है।
डेयरी वेस्ट के वैज्ञानिक निपटान के लिए नंगली सकरावती और घोगा डेयरी में बायोगैस प्लांट शुरू किए गए हैं। सूद ने कहा कि गत 11 अक्तूबर से निर्माण कार्यों में पुनर्चक्रित सामग्री का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना सिविल कार्यों का भुगतान नहीं किया जाएगा।
केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया
इसके साथ ही सूद ने प्रदूषण के लिए पूर्व की केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया। कहा कि दिल्ली में प्रदूषण कोई मौसमी समस्या नहीं है बल्कि यह वर्षों की प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है।
उन्होंने पिछली सरकार पर केवल झूठे आंकड़ों के माध्यम से जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। सूद ने बताया कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में लगाए गए 30 प्रतिशत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मानिटरिंग स्टेशन जानबूझकर 'ग्रीन एरिया' में स्थापित किए गए थे ताकि प्रदूषण के वास्तविक स्तर को छिपाया जा सके।
उन्होंने कहा कि 'आड-ईवन' और 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' जैसे अभियान केवल प्रचार स्टंट थे। न्यायालयों ने इन उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए थे।
यह भी पढ़ें- न पराली, न पटाखे, न कड़ाके की ठंड… फिर भी क्यों घुट रहा दिल्ली का दम? नए अध्ययन में खुला प्रदूषण का बड़ा सच

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।