Delhi Accidents: घातक ब्लैक स्पॉट पर सुधार नाकाफी, सड़क हादसों में मौतों का सिलसिला जारी
दिल्ली में सड़क हादसों में लगातार हो रही मौतों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। लापरवाही से वाहन चलाना और ब्लैक स्पॉट मुख्य कारण हैं। ट्रैफिक पुलिस विभाग द् ...और पढ़ें
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मोहम्मद साकिब, नई दिल्ली। राजधानी में हर साल सड़क हादसों में हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती है। इन सड़क हादसों का मुख्य कारण लापरवाही से वाहन चलाना तो है ही साथ ही जगह-जगह बने ब्लैक स्पॉट भी लोगों की मौत का कारण बनते हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस विभाग सभी एजेंसियों नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, डीडीए आदि के साथ मिलकर लगातार इन घातक ब्लैक स्पॉट को खत्म करने पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयास अभी भी नाकामयाब साबित हो रहे हैं और ब्लैक स्पॉट पर जानलेवा हादसों पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है।
इस वर्ष की बात करें तो सड़क हादसों में 30 नवंबर तक 1,402 सड़क हादसों में 1,445 लोगों की मौत हुई है। जबकि बीते वर्ष समान अवधि में 1,391 सड़क हादसों में 1,427 लोगों की मौत हुई थी। यह हाल तब है जब इस वर्ष ट्रैफिक पुलिस ने तीन सौ से अधिक चयनित ब्लैक स्पॉट में से 143 ब्लैक स्पॉट की पहचान कर विभिन्न एजेंसियों की मदद से उन्हें ठीक कर दिया।
इससे लोगों को आवाजाही में कुछ राहत तो मिली, लेकिन लापरवाह वाहन चालकों के कारण मौतों पर लगाम नहीं लग सकी। इसके अलावा 111 घातक ब्लैक स्पॉट अभी चिंता का विषय बने हुए हैं, जिनमें आजादपुर सब्जी मंडी, वजीराबाद, अक्षरधाम मंदिर, आइएसबीटी कश्मीरी गेट, आनंद विहार आइएसबीटी, भलस्वा चौक आदि शामिल हैं। इन टाप टेन ब्लैक स्पॉट पर ही बीते वर्ष 79 लोगों की मौत हुई थी।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने दुर्घटना विश्लेषण, जोखिम वाले कारणों पर ध्यान केंद्रित करने और सड़क अवसंरचना में सुधार के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई। यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का क्रैश रिसर्च सेल दुर्घटना मृत्यु दर का विश्लेषण करता है और उच्च जोखिम वाले स्थानों (ब्लैक स्पॉट) की पहचान करता है।
इन स्थानों पर रोड इंजीनियरिंग सेल जाकर सड़क सुरक्षा सुधारों की सिफारिश करता है। इस वर्ष दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने 143 ब्लैक स्पॉट की पहचान कर वहां बेहतर सड़क डिजाइन, साइन बोर्ड लगाने और सड़क मरम्मत का सुझाव दिया है, ताकि सभी सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही जिला सड़क सुरक्षा समितियों की बैठकें सक्रिय रूप से आयोजित की गईं, जहां विभिन्न विभागों ने मिलकर आवश्यक सुधारों पर काम किया।
3,600 से अधिक कर्मियों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, सड़क हादसे में कमी लाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने विशेष रूप से, स्कूल, कालेज और अस्पताल के आसपास 30 से अधिक स्थानों पर स्पीड को नियंत्रित किया। इसके लिए जैसे स्पीड ब्रेकर, राउंड अबाउट डिजाइन सुधार और पैदल यात्री क्रासिंग लगाने की सिफारिश की गई है।
स्पीड पर नियंत्रण रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस के 3,600 से अधिक कर्मियों को नवीन तकनीकों पर विशेषज्ञों से विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया है। दुर्घटना रिसर्च टीम को उच्च जोखिम वाले मार्गों और स्थानों को मैप करने के लिए भी प्रशिक्षण दिया गया है। बावजूद इसके सड़क हादसों में मरनेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
ब्लैक स्पॉट की ऐसे होती है पहचान
ट्रैफिक पुलिस के अनुसार, किसी सड़क के 500 मीटर के हिस्से में सालभर में कम से कम पांच हादसे (जिनमें से तीन घातक हों) होने पर उसे ‘ब्लैक स्पॉट’ माना जाता है। इस आधार पर जिन जगहों को सबसे अधिक खतरनाक बताया गया है, उनमें सराय काले खां, राजोकरी फ्लाईओवर, यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, आश्रम चौक, द्वारका सेक्टर 23 और जखीरा फ्लाईओवर जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
घने कोहरे में बढ़ते हैं हादसे
सर्दियों के मौसम में घना कोहरा सड़क हादसों को मुख्य कारण है। ट्रैफिक पुलिस की क्रैश रिपोर्ट के मुताबिक, कोहरे में हादसों की मुख्य वजहें हैं कामचलाऊ गाड़ियों का इस्तेमाल, भूसा और गन्ने से लदे डबल-डेकर वाहन, कंस्ट्रक्शन मटीरियल से लदे हाई-स्पीड डंपर, कमर्शियल गाड़ियों और ट्रैक्टर-ट्रेलर की खराब फिटनेस, टेललाइट और रिफ्लेक्टर की कमी, और ओवरलोडिंग।
सर्दियों की अंधेरी और कोहरे वाली रातों में, ऐसी गाड़ियां अचानक सड़क पर 'ब्लैक स्पॉट' के रूप में दिखाई देती हैं और हादसे का कारण बनती हैं। इन आदतों को रोकने की सालाना कोशिशों के बावजूद, यह ट्रेंड बिना रुके जारी है। ट्रैफिक पुलिस की क्रैश रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कोहरे के महीनों में पीछे से टक्कर लगने का हर चौथा मामला ऐसी गाड़ियों से जुड़ा होता है।
दस सबसे घातक ब्लैक स्पॉट जहां सबसे अधिक मौत हुईं
| ब्लैक स्पॉट | हादसे | मौत |
|---|---|---|
| आजादपुर सब्जी मंडी | 20 | 11 |
| वजीराबाद | 15 | 10 |
| अक्षरधाम मंदिर | 19 | 8 |
| आइएसबीटी कश्मीरी गेट | 17 | 8 |
| आनंद विहार आइएसबीटी | 16 | 8 |
| संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर | 18 | 8 |
| राजौकरी फ्लाईओवर | 16 | 7 |
| यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर द्वारका | 12 | 7 |
| भलस्वा चौक | 19 | 6 |
| लिबासपुर बस स्टैंड | 18 | 6 |
(आंकड़े बीते वर्ष के हैं)
अलग-अलग वाहनों से होने वाले हादसों में मौत
| वाहन | बीते वर्ष हुए हादसे | मौत | इस वर्ष हुए हादसे | मौत |
|---|---|---|---|---|
| दो पहिया | 180 | 187 | 180 | 187 |
| तीन पहिया | 28 | 28 | 23 | 23 |
| बस | 68 | 70 | 67 | 68 |
| कार | 230 | 236 | 222 | 236 |
| क्रेन | 10 | 10 | 9 | 9 |
| ई-रिक्शा | 20 | 20 | 31 | 31 |
| ग्रामीण सेवा | 2 | 2 | 1 | 1 |
| भारी मालवाहक | 167 | 175 | 181 | 190 |
| हल्के मालवाहक | 9 | 10 | 12 | 12 |
| मध्यम माल वाहन | 80 | 84 | 78 | 82 |
| अन्य | 20 | 20 | 17 | 17 |
| अज्ञात वाहन | 577 | 585 | 581 | 589 |
(आंकड़े 30 नवंबर तक के हैं)

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