'दिल्ली दंगा अचानक नहीं भड़का था, सोच-समझकर किया हमला था', SC में उमर खालिद-शरजील इमाम की जमानत का विरोध
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में 2020 के दिल्ली दंगों को पूर्व-नियोजित साजिश बताया। पुलिस ने उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे आरोपियों की जमानत का विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह दंगा समाज को बांटने की साजिश थी और आरोपी ट्रायल में देरी कर रहे हैं। उमर खालिद ने आरोपों को निराधार बताया। अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत का कड़ा विरोध किया। पुलिस ने कहा कि फरवरी 2020 की हिंसा कोई अचानक भड़का मामला नहीं था, बल्कि पूर्व-नियोजित, संगठित और सोच-समझकर किया गया हमला था, जो राष्ट्र की संप्रभुता को निशाना बनाकर किया गया।
उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और रेहमान के खिलाफ UAPA और पुराने IPC प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है। दिल्ली पुलिस का दावा है कि ये लोग दंगों के मास्टरमाइंड थे। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। हिंसा CAA और NRC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।
यह सिर्फ CAA/NRC का विरोध नहीं था: तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच को बताया कि एक सोची-समझी कोशिश की गई कि समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटा जाए।
उन्होंने कहा कि यह मिथक तोड़ना जरूरी है कि यह अपने आप हुआ दंगा था। यह एक सुनियोजित, सुव्यवस्थित और प्लान किया हुआ दंगा था। सबूतों से यह साफ पता चलता है। मेहता ने शरजील इमाम के एक कथित भाषण का जिक्र भी किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान ‘हर शहर में चक्का जाम’ करें।
ट्रायल में देरी के लिए आरोपी खुद जिम्मेदार
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने दावा किया कि सोशल मीडिया पर ऐसा नैरेटिव बनाया जा रहा है कि युवाओं के साथ कुछ गंभीर हो रहा है, जबकि ट्रायल में देरी का कारण आरोपी ही हैं।
उन्होंने कहा कि हम छह महीने में ट्रायल खत्म कर सकते हैं, लेकिन हर चार्ज पर आरोपी वर्षों तक बहस करते हैं। इसलिए वे खुद ही जमानत के लिए आधार बनाने के लिए ट्रायल को खींचते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस के पास एक तस्वीर है जिसमें सभी आरोपी साजिश रचते के लिए एक साथ बैठे दिखाई देते हैं।
UAPA लागू है, सिर्फ CrPC से जमानत नहीं मिलेगी: एसवी राजू
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि आरोपी, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तनहा जैसी जमानत की बराबरी नहीं मांग सकते, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि वे जमानत आदेश किसी मामले में मिसाल नहीं माना जाएगा।
राजू ने यह भी दलील दी कि शरजील इमाम को दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2024 में जो धारा 436-A CrPC के तहत सांकेतिक जमानत दी थी, वह त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि UAPA के कड़े प्रावधान भी लागू हैं।
उमर खालिद ने कहा- उन पर लगा आरोप निराधार
उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोई भी सबूत उन्हें हिंसा से नहीं जोड़ता और उन पर लगे साजिश के आरोप निराधार हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य सात आरोपियों की जमानत यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि प्रदर्शन के नाम पर की गई हिंसा स्वीकार नहीं की जा सकती।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार संविधान देता है, लेकिन यह पूर्ण अधिकार नहीं है और यह कानून और व्यवस्था की सीमा में रहकर ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी
मामले की सुनवाई मंगलवार को अधूरी रही और अब 20 नवंबर को जारी रहेगी। आरोपी सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं और अब तक उनकी जमानत याचिकाएं निचली अदालत और हाई कोर्ट दोनों खारिज कर चुके हैं।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार)
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