दिल्ली में वायु प्रदूषण से बढ़ी कब्ज की समस्या, गैस्ट्रिक-कोलोरेक्टल और लिवर कैंसर का बढ़ा खतरा
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण कब्ज की समस्या बढ़ रही है, जिससे गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल और लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ गया है। डॉक्टरों के अनुसार, वायु ...और पढ़ें

राजधानी में बढ़े प्रदूषण के बीच मास्क लगाए लोग। फाइल फोटो
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के गंभीर होते वायु प्रदूषण ने कब्ज की समस्या बढ़ा दी है, जिससे गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल व लिवर कैंसर का खतरा बढ़ गया है। अस्पतालों की ओपीडी में कब्ज, गैस और पेट साफ न होने की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है।
विशेष यह कि इसमें बड़ों के साथ बच्चे भी शामिल हैं। दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज इन समस्याओं के साथ पहुंच रहे हैं। पहले यह संख्या 25 से भी कम थी। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण के कारण लोग सुबह-शाम की सैर व व्यायाम और बच्चे खुले में खेल-कूद से बच रहे हैं।
ऐसे में लंबे समय तक वह घर के अंदर बिना किसी शारीरिक श्रम के रहते हैं, सर्दियों में प्यास कम लगने के कारण पानी भी कम पीते हैं। इसका सीधा असर आंतों की मूवमेंट पर पड़ता है, पाचन तंत्र धीमा हो जाता है, जिससे कब्ज बढ़ जाता है। वैसे भी दिसंबर कब्ज जागरूकता माह के रूप में माना जाता है। चिकित्सकों की सलाह है कि प्रदूषण के इस दौर में पेट की सेहत को लेकर सतर्कता बेहद जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल टाक्सिक्स, एमडीपीआइ में ‘वायु प्रदूषण का आंतों की कार्यप्रणाली और कब्ज पर प्रभाव’ विषयक प्रकाशित शोध में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के लंबे संपर्क से गट माइक्रोबायोटा व आंतों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है और कब्ज जैसी समस्याएं बढ़ जाती है।
मैरिंगो एशिया अस्पताल (फरीदाबाद, गुरुग्राम) के निदेशक व एचओडी गैस्ट्रोएंटरोलाजी डा. बीर सिंह सहरावत के अनुसार दिल्ली का गंभीर होता वायु प्रदूषण पेट के लिए खतरनाक होता जा रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से इरिटेबल बावेल सिंड्रोम और इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (जिसमें आंतों में सूजन हो जाती है) की समस्या हो सकती है।
मल त्याग (बावेल मूवमेंट) करने से जुड़ी परेशानी हो सकती है। चेताया कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों को गैस्ट्रिक कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और पेट से जुड़ी अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। वायु प्रदूषण के कारण लिवर की बीमारियां और लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
सर गंगा राम अस्पताल दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट को-चेयरपर्सन (गैस्ट्रोएंटरोलाजी) डा. पियूष रंजन बताते हैं कि कब्ज का मतलब सिर्फ शौच न होना नहीं, बल्कि शौच के बाद भी पेट का पूरी तरह साफ न होना भी है। बताया कि मल के आंतों रहने से गैस, एसिडिटी, पेट में भारीपन व सिरदर्द जैसी परेशानियां होती हैं।
बताया कि उनकी ओपीडी में प्रतिदिन आठ से 10 मरीज कांस्टीपेशन शिकायत के साथ आते हैं। चेताया कि लंबे समय तक कब्ज से बवासीर, एनल फिशर, फेकल इम्पेक्शन, रेक्टल प्रोलैप्स और आंतों में रुकावट जैसी समस्या हो सकती हैं। 50 वर्ष की उम्र के बाद अचानक कब्ज शुरू होना, वजन कम होना या मल के साथ खून आना जैसे लक्षण गंभीर बीमारी का संकेत हैं। समय पर जांच व उपचार आवश्यक है।
प्रमुख कारण
- बढ़ता वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी निष्क्रिय जीवनशैली
- कम पानी पीना
- फाइबर की कमी वाला आहार
- तनाव और नींद की कमी
- थायराइड या आंतों से जुड़ी अन्य बीमारियां
सामान्य लक्षण
- पेट पूरी तरह साफ न होना
- शौच में जोर लगाना
- गैस और पेट में भारीपन
- सिरदर्द और बेचैनी
- मल का सख्त होना
राहत के घरेलू उपाय
- सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं
- भोजन में सके अनुसार, सलाद, हरी सब्जियां और फल शामिल करें
- इसबघोल या फाइबर युक्त आहार का सेवन करें
- नियमित समय पर शौच की आदत डालें
- घर के अंदर ही हल्की एक्सरसाइज या योग करें
- पर्याप्त नींद लें

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