Delhi Pollution: सांसों में कैसे घुल रहा 'जहर'? दिल्ली वाले इन बातों का रखें ख्याल; AQI 500 के पार
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के पार है। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण से कोशि ...और पढ़ें

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। जागरण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Delhi-NCR Pollution दिल्ली समेत एनसीआर के जिलों में प्रदूषण की स्थिति अब गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है। पिछले दो दिनों की बात करें तो एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के पार दर्ज किया गया, जिससे लोगों का दम घुट रहा है। वहीं, ऐसे में विशेषज्ञों की कुछ राय है, जिसे फॉलो करके अपनी सांसों को कुछ हद तक बचाया जा सकता है। आइए आपको बताएं कि कहां कितना एक्यूआई दर्ज किया गया और इस गंभीर स्थिति में खुद को कैसे बचाया जा सकता है?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी एयरक्वालिटी बुलेटिन के अनुसार रविवार को दिल्ली का एक्यूआई 461 दर्ज किया गया। शनिवार को यह 431 था। यानी 24 घंटे के भीतर इसमें 30 अंकों की वृद्धि और हो गई। यह न सिर्फ इस मौसम और इस साल में दिल्ली का सबसे प्रदूषित दिन था, बल्कि अप्रैल 2015 यानी एक्यूआई की शुरुआत के बाद से दिसंबर में वायु प्रदूषण का दूसरा सबसे खराब दिन भी था। दिसंबर में इससे अधिक प्रदूषण केवल 21 दिसंबर 2017 को दर्ज हुआ था, जब औसत एक्यूआई 469 था।
सीपीसीबी के समीर एप के मुताबिक, रविवार को दिल्ली के सक्रिय 39 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में 38 पर एक्यूआई 400 से ऊपर था। केवल शादीपुर 'बहुत खराब' श्रेणी में था। वजीरपुर में एक्यूआई का स्तर 500 के अधिकतम स्तर पर पहुंच गया था (इससे ऊपर सीपीसीबी माप नहीं करता), जबकि अन्य केंद्र इसके करीब थे।
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रविवार को रोहिणी में भी वायु गुणवत्ता का स्तर 500 के पार पहुंच गया, जबकि उत्तरी दिल्ली में अशोक विहार (499), उत्तरी दिल्ली के जहांगीरपुरी (499) और पश्चिमी दिल्ली के मुंडका (499) भी इसके करीब थे। एनसीआर में भी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद की हवा ''गंभीर'' जबकि फरीदाबाद औ रगुरुग्राम की ''खराब'' दर्ज की गई।
वायु प्रदूषण आपको कैसे करता है प्रभावित
हवा में मौजूद प्रदूषकों को लंबे समय तक सांस के जरिए लेने से कोशिकाओं में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव, इम्यूनसप्रेशन और म्यूटाजेनिसिटी होती है, जो फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क सहित अन्य अंगों को प्रभावित करती है।

ये सूक्ष्म कण हैं, जो फेफड़ों और रक्त धारा में प्रवेश कर सकते हैं। दिल्ली की हवा में 2.5 और 10 माइक्रोन से छोटे कण मुख्य प्रदूषक हैं।

बच्चे सबसे अधिक जोखिम में
युवा बच्चे वयस्कों की तुलना में दोगुनी दर से सांस लेते हैं, जिससे वे अधिक मात्रा में प्रदूषक ग्रहण करते हैं। लंबे समय तक उच्च प्रदूषण से फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण से अवसाद, स्किजोफ्रेनिया, बाइपोलरडिसऑर्डर और व्यक्तित्व विकारों का जोखिम बढ़ता है।
अब इनसे दूर रहें
उच्च प्रदूषण स्तर पर बाहरी व्यायाम (पार्क में व्यायाम, आउटडोरयोगा, सड़क पर जॉगिंग) से अधिक नुकसान हो सकता है। सड़कों के पास धूल और हानिकारक गैसें सबसे अधिक होती हैं।
(हिंदुस्तान टाइम्स इनपुट के साथ)

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