साइबर अपराध पर दिल्ली पुलिस का करारा प्रहार, पहले दिन दर्ज हुईं 25 ई-एफआईआर
दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराधों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ई-एफआईआर की सुविधा शुरू की है। पहले दिन ही 25 ई-एफआईआर दर्ज की गईं, जिससे साइबर अपराधियों में डर का माहौल है। यह पहल नागरिकों को घर बैठे शिकायत दर्ज कराने में मदद करेगी और अपराधों पर नियंत्रण रखने में सहायक होगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। साइबर धोखाधड़ी रोकने के नए प्रविधान के तहत साइबर अपराधियों के शिकार पीड़ितों को राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है। एक लाख व उससे ऊपर के साइबर ठगी होने पर तुरंत ई-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा शुरू करने के पहले दिन एक नवंबर को पूरी दिल्ली में कुल 25 ई-एफआईआर हुई, जिनमें 22 ई-एफआईआर 10 लाख से नीचे और तीन 10 लाख से ऊपर की हुई। यह आंकड़ा 31 अक्टूबर की रात 12 बजे से एक नवंबर की रात नौ बजे तक का है।
हर माह का आंकड़ा पहुंच सकता है 800
पुलिस का मानना है कि जैसे-जैसे लोगों को नए प्रविधान के बारे में जानकारी मिलेगी, उनमें जागरूकता आएगी उसके बाद पीड़ितों की शिकायतें आनी भी तेज हो जाएगी। अब तक हर माह जहां पूरी दिल्ली में 70-80 एफआईआर होती थी, आने वाले समय में हर माह आंकड़ा 800 तक पहुंच सकता है।
समय पर ई-एफआईआर दर्ज होने पर ठगों के बैंक खाते फ्रीज करा देने पर पीड़ितों के अधिक से अधिक पैसे मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी। साथ ही केस दर्ज हाेने पर जब अधिक से अधिक साइबर अपराधी पकड़े जाएंगे तब साइबर ठगी के मामलों में कमी आनी शुरू हो जाएगी।
ठगों का पहला निशाना दिल्लीवासी
विशेष आयुक्त, क्राइम ब्रांच, देवेश चंद श्रीवास्तव का कहना है कि दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जहां बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए गृह मंत्रालय के निर्देश पर पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा के निर्देश पर एक नवंबर से साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए नए प्रविधान के तहत ई-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा शुरू की गई है। दिल्ली की जनसंख्या काफी अधिक है। राजधानी होने के कारण यहां बड़ी संख्या में अमीर तबके व नौकरी पेशा वाले लोग रहते हैं। इसलिए साइबर ठगों का पहला निशाना दिल्लीवासी बनते हैं।
10 प्रतिशत राशि बैंक खातों में रोक दी
दिल्ली के पिछले नौ माह के आंकड़े को देखा जाए तो साइबर ठगों ने दिल्लीवासियों को एक हजार करोड़ का चूना लगाया है, जिसमें निवेश के नाम पर ठगी, डिजिटल अरेस्ट और किसी बड़े अधिकारी के नाम पर ठगी के प्रमुख मामले शामिल हैं। 2024 में 1,100 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जिसमें लगभग 10 प्रतिशत राशि बैंक खातों में रोक दी गई, जिन्हें अदालती आदेशों के बाद दिया गया।
धोखाधड़ी वाले धन को रोकना आसान
इस साल दिल्ली पुलिस ने बैंकों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की लगभग 20 प्रतिशत राशि फ्रीज कराने में सफल हो पाई। लोगों से बार-बार अपील की जाती है कि अगर कोई साइबर अपराधियों के शिकार बन जाते साहैं तब उन्हें तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रिपोर्ट करना चाहिए। इससे धोखाधड़ी वाले धन को रोकने में आसानी होती है।
225 पुलिसकर्मी भी काॅलर ट्रैकर के रूप में जुड़े
इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आईएफएसओ) दिल्ली पुलिस की मुख्य साइबर अपराध यूनिट है। साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों को सुनने व उसपर तुरंत कार्रवाई के लिए इस यूनिट में 24 घंटे करीब 20 कालर ट्रैकर की तैनाती रहती है। नए प्रविधान के तहत अब सभी 15 जिलों के 225 थानों के एकल हेल्प डेस्क पर तैनात 225 पुलिसकर्मी भी काॅलर ट्रैकर के रूप में जुड़कर काम करना शुरू किया है। वे पीड़ितों की शिकायतों को सुनकर उस पर तुरंत आगे की कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि आने वाले समय में इससे काफी बदलाव देखने को मिलेगा।
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर सबसे अधिक ठगी
निवेश के नाम पर ठगी व डिजिटल अरेस्ट के नाम पर इन दिनों सबसे अधिक ठगी हो रही है।
इसमें ठग अक्सर इंटरनेट मीडिया पर महिलाओं के रूप में प्रस्तुत होकर, पीड़ितों को आकर्षक रिटर्न का वादा करके आलाइन समूहों में शामिल होने के लिए लुभाते हैं। शुरुआती छोटे निवेश पर नकली मुनाफ़ा दिखाने के बाद, वे पीड़ितों को लाखों या करोड़ों की बड़ी रकम निवेश करने के लिए राजी करते हैं।
कई देशों के ठग कर रहे ठगी
इन मामलों के साइबर आपराधी अधिकतर कंबोडिया, लाओस और वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से काम करते हैं, जहां चीनी संचालकों द्वारा संचालित बड़े पैमाने पर गिरोह दुनिया भर के लोगों को निशाना बनाते हैं। भारत में ठग चोरी के धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नकली बैंक खाते और सिमकार्ड उपलब्ध कराकर उन्हें ठगी को अंजाम देने में मदद करते हैं।
हर तरह का डर दिखाकर लूट रहे
डिजिटल अरेस्ट में ठग, कानून प्रवर्तन अधिकारियों का रूप धारण कर, डराकर और धमकी देकर पीड़ितों से पैसे ऐंठते हैं। ठग पुलिस, सीबीआई या कोरियर एजेंसियों से होने का दावा कर पीड़ितों को फोन करते हैं और दावा करते हैं कि उनका बैंक खाता या पार्सल आतंकवाद, मनी लांड्रिंग या साइबर अपराध जैसे अपराधों से जुड़ा है। नकली नंबरों, फर्जी दस्तावेज और छेड़छाड़ किए गए वीडियो का इस्तेमाल करके वे पीड़ितों को जुर्माना या सिक्योरिटी मनी के रूप में रुपए ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।
एसओपी जारी की गई
ई-एफआईआर के माध्यम से दर्ज साइबर अपराध के मामलों के पंजीकरण और जांच के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है। जिससे किसी भी पुलिस थाने या 1930 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से लोग शिकायत दर्ज करा सकेंगे। एसओपी के अनुसार, जब कोई व्यक्ति हेल्पडेस्क पर संपर्क करेगा, तो पुलिस अधिकारी सभी विवरण नोट करेगा और ई-एफआईआर तैयार करेगा।
यह ई-एफआईआर स्वचालित रूप से संबंधित पुलिस स्टेशन को भेज दी जाएगी। 25 लाख रुपये तक की राशि के लिए यह संबंधित क्षेत्राधिकार वाले जिला साइबर अपराध थाने को और 25 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक की शिकायतों के लिए क्राइम ब्रांच के साइबर सेल थाने को भेजी जाएगी। 50 लाख रुपये से अधिक की शिकायतों के लिए, ई-एफआईआर स्पेशल सेल की आइएफएसओ को स्थानांतरित कर दी जाएगी।
एसओपी में कहा गया है कि ई-एफआईआर दर्ज करने के बाद, जांच अधिकारी तुरंत अनिवार्य प्रक्रियाएं शुरू करेगा, जिसमें खातों को फ्रीज करना, काल विवरण रिकार्ड एकत्र करना और सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करना शामिल है।
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