दिल्ली के नत्थू कॉलोनी फ्लाईओवर पर सात साल से जांच जारी, अब तक तय नहीं हो सका खराब निर्माण का जिम्मेदार कौन
दिल्ली के नत्थू कॉलोनी फ्लाईओवर के निर्माण में खामियों की जांच पिछले सात सालों से चल रही है। इतनी लंबी जांच के बाद भी अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि खराब निर्माण के लिए कौन जिम्मेदार है। अधिकारियों की विफलता के कारण जिम्मेदारी तय करने में देरी हो रही है।

नत्थू काॅलोनी चौक रेलवे लाइन के ऊपर बने इस फ्लाईओवर के बनने के दो साल बाद ही फ्लाईओवर खतरनाक घोषित हो गया था।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। अभियंता अपने साथियों को बचाने को लेकर किस तरह गोलमोल रिपोर्ट प्रस्तुत कर मामले को उलझाते हैं, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) के सात साल पहले बने एक फ्लाईओवर के मामले में साफ तौर पर इसे देखा जा सकता है।
क्या है पूरा मामला?
नत्थू काॅलोनी चौक रेलवे लाइन के ऊपर बने इस फ्लाईओवर के बनने के दो साल बाद ही फ्लाईओवर खतरनाक घोषित हो गया था। क्योंकि इसके कुछ भाग गिरने लगे थे जिसके बाद से बड़े वाहनों पर इसके ऊपर गुजरने पर प्रतिबंध है। मगर बड़ी हैरानी की बात है कि विभाग सात साल बाद भी यह तय नहीं कर पाया है इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार थे। अभी भी इस की तकनीकी जांच चल रही ही है कि क्या यह अब बड़े वाहनों के ऊपर से गुजरने को लेकर सुरक्षित है।
मामला दो विभागों के बीच झूल रहा
इस फ्लाईओवर को बनाने वालों पर कार्रवाई का मामला दो विभागों के बीच झूल रहा है। इस फ्लाईओवर को दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) ने 2015 - 16 में बनाया था और बनाने के बाद रखरखाव के लिए इसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को सौंप दिया था। जब यह पीडब्ल्यूडी निर्माण के अंतर्गत आया तो इसके स्लैब अचानक गिरने लगे। पीडब्ल्यूडी ने डीटीटीडीसी से संपर्क किया और इसकी जानकारी तत्कालीन आप सरकार को दी।
जांच में लगातार देरी हो रही
सरकार के निर्देश पर डीटीटीडीसी ने इसकी तकनीकी अध्ययन करने का फैसला लिया। इस दौरान खतरे को देखते हुए इसके ऊपर हाइट बैरियर लगाए गए ताकि बड़े वाहन इसके ऊपर से ना गुजर सकें और कोई बड़ी दुर्घटना होने से रोका जा सके। फ्लाईओवर की मरम्मत कराई गई और छोटे वाहनों के लिए इसे चलने के लिए जारी रखा गया। मगर डीटीटीडीसी की जांच में लगातार देरी हो रही थी।
निष्कर्ष : निर्माणकर्ता एजेंसी ही कराए जांच
इसी बीच सरकार के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी ने भी इसकी तकनीकी जांच शुरू कराई जिस पर डीटीटीडीसी ने अपनी जांच रोक दी। पीडब्ल्यूडी ने जांच शुरू कराई और यह विभाग भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका। क्योंकि जिन तकनीकी संस्थानों से इसके बारे में रिपोर्ट मांगी गई थी उसमें भी लगातार देरी हो रही थी। इस बीच सरकार स्तर पर हुई कई बैठकों में यह निष्कर्ष निकल कर आया कि इसे जिस एजेंसी ने बनाया है वही इसके लिए जिम्मेदार है और वही इसकी जांच भी कराए।
सात साल बाद नहीं हो सका निर्णय
ऐसे में पीडब्ल्यूडी द्वारा जांच रुक गई और फिर से डीटीटीडीसी ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया। डीटीटीडीसी ने इसके तकनीकी अध्ययन के लिए निजी फॉर्म को काम दिया है। इस मामले में जांच अभी प्रक्रिया में है। ऐसे में सात साल गुजर चुके हैं और एक भी अधिकारी और कंपनी इसके लिए दोषी नहीं है घोषित हुई है। जिस कंपनी ने इस फ्लाईओवर को बनाया था उसका भी लगभग भुगतान हो चुका है।
तीन महीने में रिपोर्ट दी जाए
इलाके के भाजपा विधायक जितेंद्र महाजन ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। इस मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट गए थे और हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले की 3 महीने में रिपोर्ट दी जाए और इस पर फैसला लिया जाए कि इसे लेकर आगे क्या किया जाना है। इसके साथ हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसकी सीबीआई से जांच कराने पर भी विचार किया जा सकता है।
जिम्मेदारों को बचाने का हो रहा प्रयास
विधायक जितेंद्र महाजन कहते हैं हाई कोर्ट के निर्देश की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिस रिपोर्ट को 3 महीने में हाई कोर्ट में सौंपा जाना था वह 8 महीने बाद भी सौंपी नहीं जा सकी है और ना ही इस फ्लाईओवर को लेकर कोई फैसला हो सका है। सीधा-साधा मामला है कि जिम्मेदार लोगों को बचाया जा रहा है। वह कहते हैं कि उस समय की मुख्यमंत्री आतिशी ने इस मामले की सतर्कता जांच के निर्देश दिए थे उसका भी आज तक पता नहीं चल सका है कि रिपोर्ट में क्या कमियां बताई गईं।

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