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    अब चुकाने ही पड़ेंगे 10,000 रुपये, दिल्ली में माफ नहीं होगा PUC चालान; OLA-Uber को लेकर भी सरकार का बड़ा फैसला

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 08:08 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई प्रभावी निर्णय लिए हैं, जिसमें पीयूसी चालान को माफ न करने का फैसला शामिल है। सरकार दिल्ली-एनसीआर में पूल व ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूराे, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में दिल्ली सरकार ने कुछ निर्णायक कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार प्रदूषण फैलाने वाले कारकों के विरुद्ध जीरो टाॅलरेंस की नीति अपनाएगी।

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    इसी कड़ी में सोमवार को दिल्ली सचिवालय में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई प्रभावी निर्णय लिए गए। इनमें पीयूसी चालान को माफ न करने का फैसला लिया गया। वहीं, दिल्ली एनसीआर में पूल व शेयर ई-बसें चलाने का फैसला भी शामिल है।

    इस महत्वपूर्ण बैठक में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा सहित पर्यावरण, परिवहन, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, पीडब्ल्यूडी और यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

    प्रदूषण चालान में नहीं मिलेगी कोई रियायत

    बैठक में मुख्यमंत्री ने सबसे कड़ा रुख उन वाहनों के प्रति अपनाया, जो बिना वैध प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (पीयूसी) के सड़कों पर प्रदूषण फैला रहे हैं। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर 10 हजार रुपये के भारी जुर्माने का प्रावधान है।

    मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया कि अक्सर वाहन मालिक लोक अदालत का सहारा लेकर इस जुर्माने को बहुत कम करवा लेते हैं, जिससे दंड का भय समाप्त हो जाता है और लोग अपने वाहनों को प्रदूषण मुक्त कराने के प्रति गंभीर नहीं होते हैं।

    मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अब प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का चालान किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यदि इसके लिए सरकार को कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाना पड़े, तो पीछे नहीं हटा जाएगा। सरकार का लक्ष्य राजस्व वसूली नहीं, बल्कि नागरिकों को शुद्ध हवा देना है।

    ओला-ऊबर के साथ ई-बस सेवा की संभावना

    प्रदूषण कम करने के लिए निजी भागीदारी को बढ़ावा देते हुए दिल्ली सरकार शीघ्र ही ओला और ऊबर जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ संवाद करेगी। इस योजना का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पूल व शेयर के रूप में 'प्रदूषण रहित सवारी बसें' चलाने की संभावनाओं को तलाशना है। यदि ये कंपनियां इलेक्ट्रिक या प्रदूषण मुक्त बसें संचालित करती हैं, तो इससे सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम होगा और सार्वजनिक परिवहन अधिक पर्यावरण अनुकूल बनेगा।

    ई-रिक्शा के लिए आएगी नई गाइडलाइन

    राजधानी की सड़कों पर अनियंत्रित ई-रिक्शा यातायात जाम का एक बड़ा कारण बनते हैं। जाम के कारण वाहनों का ईंधन अधिक जलता है, जो सीधे तौर पर प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होता है।

    इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार जल्द ही नई 'ई-रिक्शा गाइडलाइन' जारी करेगी। इन नियमों के माध्यम से ई-रिक्शा के संचालन क्षेत्र और उनके रूटों को व्यवस्थित किया जाएगा, ताकि यातायात बाधित न हो और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही सुचारू बनी रहे।

    डीटीसी बसों के रूट होंगे युक्तिसंगत

    सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों के रूटों को युक्तिसंगत करने का निर्णय लिया है। सरकार चाहती है कि डीटीसी की पहुंच दिल्ली के हर क्षेत्र और कालोनी तक होनी चाहिए।

    रूटों के वैज्ञानिक व युंक्तिसंगत करने से आखिरी मंजिल तक कनेक्टिविटी सुधरेगी, जिससे लोग निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक बस सेवा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ काम करने और इन निर्णयों को तत्काल प्रभाव से जमीन पर उतारने का आदेश दिया है।

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