दिल्ली-NCR में जोरदार पड़ रही ठंड, लेकिन बारिश के नहीं बन रहे आसार; अगले एक हफ्ते का क्या है IMD का अनुमान?
दिल्ली-एनसीआर में कड़ाके की ठंड जारी है और अगले एक हफ्ते तक बारिश की कोई संभावना नहीं है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, तापमान में गिराव ...और पढ़ें
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दिसंबर में अभी तक एक बूंद नहीं बरसी है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। ठंड तो अब जोरदार पड़ रही है, लेकिन नवंबर के बाद दिसंबर में भी वर्षा शायद दिल्ली समेत एनसीआर से नाराज ही चल रही हो गई है। दिसंबर में भी अभी तक एक बूंद नहीं बरसी है। अगले एक सप्ताह के दौरान भी वर्षा होने का कहीं कोई पूर्वानुमान नहीं है। मौसम विज्ञानियों की मानें हरियाणा और पंजाब सहित मैदानी क्षेत्र के अन्य राज्यों में भी नवंबर-दिसंबर में कहीं वर्षा नहीं हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार सर्दियों का सीजन अक्टूबर से शुरू होता है। अक्टूबर में तो फिर भी दिल्ली में 74 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज हुई, लेकिन नवंबर में वर्षा का आंकड़ा 100 प्रतिशत माइनस चला गया। दिसंबर में भी इसी स्थिति की पुनरावृत्ति होती नजर आ रही है। 22 तारीख तक इस महीने में कहीं एक बूंद नहीं बरसी है। माह के बचे हुए दिनों में भी कहीं वर्षा होने की संभावना नहीं बन रही।
बीते डेढ़ दशक के दौरान यह चौथा वर्ष है, जब दिसंबर सूखा बीतने जा रहा है। इससे पहले 2016, 2022 और 2023 में भी इस माह में दिल्ली व एनसीआर को बिना वर्षा के रहना पड़ा था। ज्ञात हो कि नवंबर की सामान्य वर्षा 21.3 मिमी जबकि दिसंबर की 8.1 मिमी है।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत बताते हैं कि वर्षा होने के लिए पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता बहुत जरूरी है। इस साल नवंबर में कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया। दिसंबर में एक थोड़ा मजबूत पश्चिमी विक्षोभ आया भी तो उसका असर केवल पहाड़ों पर बर्फबारी के रूप में दिखा। हालांकि 28 या 29 दिसंबर दिसंबर को भी एक और पश्चिमी विक्षोभ आना है, लेकिन वह भी पहाड़ों तक ही सीमित रहेगा। दिल्ली सहित एनसीआर के साथ साथ हरियाणा व पंजाब के पूर्वानुमान में भी इस माह के अंत तक वर्षा का जिक्र नहीं है।
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान कृषि विज्ञानी डॉ. जेपीएस डबास कहते हैं कि वर्षा का नहीं होना या फसलों की सेहत के लिए कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अनेक ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर फसलों की सिंचाई का बेहतर प्रबंध नहीं है।
ऐसे में वहां जौ व सरसों जैसी ऐसी फसलें उगाई जाती हैं, जो कम पानी में भी उग जाएं। इन फसलों और क्षेत्रों के लिए वर्षा किसी वरदान से कम नहीं होती, लेकिन इस बार नवंबर के बाद दिसंबर में भी वर्षा नहीं हो रही। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में भूजल गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है, वहां भी वर्षा का पानी फसलों के लिए लाभप्रद होता है। जबकि अबकी बार मौसम की मेहरबानी फसलों पर हो ही नहीं रही है।
2011 से 2025 के तक किस साल दिसंबर में कितनी हुई वर्षा (मिमी में)
| वर्ष | वर्षा (मिमी) |
|---|---|
| 2011 | 0.6 |
| 2012 | 2.3 |
| 2013 | 6.6 |
| 2014 | 13.3 |
| 2015 | 0 |
| 2016 | 0 |
| 2017 | 7.9 |
| 2018 | 1.8 |
| 2019 | 33.9 |
| 2020 | 1.6 |
| 2021 | 9.6 |
| 2022 | 0 |
| 2023 | 0 |
| 2024 | 53.8 |
| 2025 | 0 |
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