दिल्ली को 10 साल से नहीं मिली साफ हवा, देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा; नए विश्लेषण में चौंकाने वाला खुलासा
क्लाइमेट ट्रेंड्स के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली 2015 से 2025 तक सबसे प्रदूषित शहर रही। किसी भी शहर ने सुरक्षित एक्यूआई स्तर प्राप्त नहीं किया। सिंधु-गंगा क्षेत्र में मौसम और भूगोल सर्दियों में धुंध बढ़ाते हैं। शहरीकरण, यातायात और उद्योग जैसे कारक प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। पराली जलाने में कमी के बावजूद दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हुआ, क्योंकि स्थानीय प्रदूषण स्रोत और मौसम मिलकर धुंध का कारण बन रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक दशक के दौरान सबसे प्रदूषित शहर रही है। यह सामने आया है पर्यावरण थिंक टैंक क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए एक नए विश्लेषण से। यह विश्लेषण 2015 से नवंबर 2025 तक 11 भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता के आंकड़ों का आकलन करता है।
विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले एक दशक में किसी भी बड़े शहर ने अपने वार्षिक औसत में एक्यूआई का सुरक्षित स्तर हासिल नहीं किया है। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि मौसम विज्ञान और भूगोल, विशेष रूप से सिंधु-गंगा क्षेत्र में, लगातार सर्दियों में धुंध को बढ़ा रहे हैं।
इस विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि अक्टूबर से वर्षा न होने और कमजोर पश्चिमी विक्षोभों ने प्राकृतिक प्रदूषकों के बह जाने की प्रवृत्ति को समाप्त कर दिया है। जिससे समय से पहले धुंध बनने की प्रक्रिया तेज हो गई है।
दशक भर का डेटासेट इस बात पर भी जोर देता है कि भारत की वायु प्रदूषण समस्या राष्ट्रीय, सतत और संरचनात्मक बनी हुई है। यह शहरीकरण, यातायात, उद्योग और मौसमी कारकों से प्रेरित है। इस पर नियंत्रण के लिए व्यवस्थित और विज्ञान आधारित नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता है।
विश्लेषण के मुख्य अंश
- 2015-2025 के बीच किसी भी प्रमुख भारतीय शहर ने किसी भी समय सुरक्षित एक्यूआई का स्तर दर्ज नहीं किया।
- दिल्ली पूरे दशक में सबसे प्रदूषित शहर रहा। इसका एक्यूआई 2025 में भी लगभग 180 के आसपास रहा।
- लखनऊ, वाराणसी और अहमदाबाद जैसे उत्तरी शहरों में लगातार एक्यूआइ का उच्च एवं अस्वास्थ्यकर स्तर दर्ज किया गया।
- कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़ और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में मध्यम लेकिन फिर भी असुरक्षित एक्यूआई स्तर दर्ज किए गए।
- बेंगलुरु में महानगरों में सबसे स्वच्छ हवा थी, फिर भी एक्यूआई 'अच्छी' श्रेणी से ऊपर रहा।
- 2020 के बाद कुछ शहरों में सुधार हुआ, लेकिन कोई भी स्वस्थ वायु गुणवत्ता प्राप्त करने के करीब नहीं पहुंच पाया।
- 2025 में भी, पराली जलाने की घटनाओं में आई बड़ी गिरावट से दिल्ली की हवा में कोई सुधार नहीं हुआ। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रदूषण स्रोत और मौसम विज्ञान मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में भीषण सर्दियों के धुंध का कारण बन रहे हैं।
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