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    आबकारी विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी, नए साल पर दिल्ली में शराब तस्करी का खतरा बढ़ा

    Updated: Thu, 01 Jan 2026 03:30 AM (IST)

    नए साल पर दिल्ली में अवैध शराब की तस्करी बढ़ने की आशंका है, खासकर पड़ोसी राज्यों से सस्ती शराब की आपूर्ति। आबकारी विभाग का प्रवर्तन विंग कर्मचारियों क ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। होली, दीवाली के बाद नया साल ऐसा अवसर होता है जब दिल्ली में बड़े स्तर पर अवैध शराब की आपूर्ति होने की आशंका रहती है। इतना ही नहीं दिसंबर से पूरे जनवरी तक अवैध धंधे का पीक वाला यह समय माना जाता है। आबकारी विभाग द्वारा इसे रोकने की भी प्रयास किए जाते हैं।

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    दूसरे राज्यों में सस्ती होने के कारण दिल्ली में शराब की तस्करी का खतरा अधिक रहता है। मगर जब विभाग के पास ना कर्मचारी ना संसाधन पर्याप्त हों तो ऐसे में किस तरह अवैध शराब पर रोक लगाई जा रही होगी यह समझने वाली बात है। पिछले कुछ सालों को देखें तो यह कार्रवाई पूर्व के सालों से कम होती जा रही है।

    इसका बड़ा कारण विभाग के प्रवर्तन विंग में कर्मचारियों की भारी कमी माना जा रहा है। हालांकि आबकारी विभाग का दावा है कि विभाग पूरी तरह से शराब की तस्करी रोकने के लिए काम कर रहा है और दिल्ली की सीमा सहित तस्करी वाले संभावित क्षेत्रों में टीमें तैनात की गई हैं।

    एक तो विभाग के सृजित पदों में कमी है। दूसरे स्वीकृत पदों में से भी आधे से भी अधिक पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई प्रभावित हो रही है। दिल्ली में अवैध रूप से धड़ल्ले से दूसरे राज्यों की शराब बिकती है। नए साल में इस अवैध कारोबार की आशंका और बढ़ जाती है और यह आशंका पूरे जनवरी भर बनी रहती है। दिल्ली सरकार ने वर्तमान आबकारी नीति को ही 31 मार्च तक विस्तार दे दिया है।

    सतर्कता विंग में कुल 60 स्वीकृत पदों में से 43 खाली 

    विभाग की बदहाल स्थिति की बात करें तो विभाग की सतर्कता विंग में कुल 60 स्वीकृत पदों में से 43 खाली पड़े हैं ,केवल 17 पद भरे हुए हैं। इनमें भी विभाग के प्रवर्तन विंग के मुखिया के तौर पर निर्धारित एसीपी का पद रिक्त है, इतना ही नहीं जो निरीक्षक का पद सृजित है, वह भी रिक्त है। सहायक निरीक्षक के नौ में से छह पद रिक्त हैं।

    जिन हवलदार और सिपाहियों की निगरानी में सबसे अधिक जरूरत होती है, उनमें 20 हवलदार में से केवल छह मौजूद हैं, सिपाहियों के 29 पदों से 21 खाली पड़े हैं। केवल आठ सिपाही ही मौजूद हैं। यानी 60 में से 17 पदों पर ही अधिकारी और कर्मचारी मौजूद हैं। इससे विभाग के छापेमारी कार्यक्रम पर भी असर पड़ रहा है। पिछले पांव साल में छापेमारी कार्रवाई आधे के करीब रह गई है।