मां-भाई की बेरहमी से हत्या करने वाले बेटे को आजीवन कारावास की सजा, कोर्ट ने दोषी पर जुर्माना भी लगाया
दिल्ली की एक अदालत ने परिवार को खत्म करने वाले सुनील अरोड़ा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पवन कुमार जैन की अदालत ने अरोड़ा को मां और भाई की हत्या का ...और पढ़ें

मुकेश ठाकुर, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने अपने ही परिवार को खत्म करने वाले एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। द्वारका स्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार जैन की अदालत ने 22 दिसंबर को हत्या को अंजाम देने वाले सुनील अरोड़ा को अपनी मां लता अरोड़ा और भाई राजेंद्र अरोड़ा की हत्या का दोषी पाने के बाद यह सजा सुनाई है। साथ ही दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
यह जघन्य हत्याकांड बिंदापुर थाना क्षेत्र में हुआ था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी सुनील अरोड़ा ने चाकू, कैंची और लकड़ी की थापी (कपड़े धोने वाला डंडा) से हमला कर अपने भाई और मां की जान ले ली थी। मौके पर पहुंची पुलिस को राजेंद्र अरोड़ा एक कुर्सी पर मृत अवस्था में मिले थे, जबकि उनकी बुजुर्ग मां फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थीं।
मुकदमे के दौरान, सुनील अरोड़ा ने अदालत में धारा 313 सीआरपीसी के तहत बयान दिया कि उसने यह हमला आत्मरक्षा में किया था। उसका दावा था कि उसका छोटे भाई राजेंद्र उसकी मां को पीट रहा था और उसे बचाने के चक्कर में यह घटना हुई। हालांकि, न्यायाधीश ने इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यदि आरोपी ने आत्मरक्षा में हमला किया होता, तो उसके शरीर पर भी संघर्ष के निशान होने चाहिए थे, जो कि नहीं पाए गए। चाकू, कैंची और थापी पर मृतक राजेंद्र का डीएनए पाया गया। साथ ही आरोपी के कपड़ों पर भी मृतक का खून मिला, जिसका वह कोई ठोस कारण नहीं दे सका। पड़ोसी ने भी गवाही दी कि दोनों भाइयों में अक्सर झगड़ा होता था और मां अक्सर छोटे बेटे राजेंद्र का पक्ष लेती थी, जिससे सुनील नाराज रहता था।
अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घावों की गंभीरता पर गौर करते हुए कहा कि मृतक राजेंद्र के गर्दन पर किया गया हमला इतना गहरा था कि वह किसी भी हाल में व्यक्ति की जान लेने के लिए पर्याप्त था। वहीं, 75 वर्षीय बुजुर्ग मां के सिर पर भी भारी वस्तु से कई वार किए गए थे। यह दर्शाता है कि आरोपी का इरादा केवल घायल करना नहीं, बल्कि हत्या करना ही था।
अदालत ने मामले को रेयररेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं माना, इसलिए फांसी की सजा न देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने आदेश दिया कि सुनील अरोड़ा को बाकी का जीवन जेल में ही बिताना होगा।

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