दिल्ली में लैंडफिल पर निर्भरता कम करने का सपना ढेर, कचरे के ढेर में तब्दील हईं द्वारका की सड़कें
दिल्ली में लैंडफिल पर निर्भरता कम करने का सपना अधूरा रह गया है। द्वारका की सड़कें कचरे से भरी पड़ी हैं, जिससे निवासियों को परेशानी हो रही है। एमसीडी के प्रयासों के बावजूद सफाई व्यवस्था चरमरा गई है, और लैंडफिल साइटों पर दबाव बढ़ रहा है। स्थानीय लोग एमसीडी की कार्यशैली से नाराज़ हैं और समाधान की मांग कर रहे हैं।

सेक्टर 13 मेट्रो स्टेशन के नजदीक एक सुनसान सड़क पर कचरे को लगाया जा रहा ठिकाने। जागरण
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। दिल्ली में कचरे की समस्या के समाधान के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम में पूरी स्पष्टता के साथ यह उल्लेख है कि स्थानीय अधिकारी ऐसी व्यवस्था करेंगे जिसमें कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उपचार और निपटान हो, जिससे लैंडफिल पर निर्भरता कम हो। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है। कम से कम राजधानी की सर्वाधिक सुनियोजित मानी जाने वाली उपनगरी द्वारका में ऐसा होता नजर नहीं आता।
आए दिन उपनगरी में जगह जगह कचरे के विशाल ढेर इस कदर नजर आते हैं मानों ये ढेर नहीं बल्कि छोटी मोटी लैंडफिल साइट हो। दिक्कत यह है कि ये ढेर आवासीय इलाके या किसी पार्क से सटे होने के कारण लोगों के लिए परेशानी का बड़ा कारण है। स्थिति ऐसी है कि जहां ये ढेर रहते हैं, वहां आप कुछ सेकेंड भी खड़े हो जाएं ताे आपकी दशा खराब होने लगेगी।
कुछ दिनों पूर्व सेक्टर 14 मेट्रो स्टेशन से पीपल अपार्टमेंट जाने के क्रम में एक बड़े मैदान व पार्क के बीच गुजरने वाली सड़क को कचरे के ढेर से पाट दिया गया था। दैनिक जागरण ने इस समस्या को उठाया तो वहां से इसे हटाया गया। तब समस्या के पीछे वर्षा के कारण लैंडफिल साइट पर कूड़े से भरे डंपर को जाने में होने वाली असुविधा को बताया गया था।
लेकिन अब जबकि वर्षा बीत चुकी है, लैंडफिल साइड पर डंपर को आने जाने में कोई असुविधा नहीं हो रही है, तब भी उपनगरी में इस जगह से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर एक सुनसान सड़क के बड़े हिस्से को कचरे से पाट दिया गया है।
नहीं चेत रहे जिम्मेदार
सेक्टर 13 मेट्रो स्टेशन अभिनव स्कूल की ओर जाने के क्रम में जिस जगह कचरे के ढेर को जमा किया जा रहा है, उस स्थान से महज चंद मीटर की दूरी पर एक निजी विद्यालय व एक सरकारी विद्यालय है। इसके ठीक सामने डीडीए का अपार्टमेंट है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कचरे को लंबे समय से उपनगरी के विभिन्न भागों से लाकर डंप किया जा रहा है, जो सरासर गलत है। लेकिन इससे न तो नगर निगम और न ही डीडीए को कोई फर्क पड़ता नजर आ रहा है। डीडीए को इसलिए क्योंकि यह सड़क डीडीए की है। पास में दो विद्यालय होने के कारण यहां से छुटि्टयों के समय विद्यार्थियों का समूह गुजरता है। सभी को यहां से गुजरने के दौरान परेशानी होती है।
सुनसान सड़क पर डंप कर रहे कचरा
लोगों का कहना है कि उपनगरी में मुख्य सड़क के किनारे जगह जगह कूड़ा घर हैं। कुछ कूड़ा घरों में कांपेक्टर मशीन भी है। कुछ कूड़ा घरों को तो बंद कर दिया गया है। मुख्य सड़क पर यदि यहां कूड़ा नजर आए तो इससे निगमकर्मियों को लगता है कि उनकी गलती पकड़ी जाएगी। इससे बचने के लिए यह नई तरकीब निकाली गई है।
अब मुख्य सड़कों के किनारे कूड़े को डंप न कर मुख्य सड़क से थोड़ा अंदर सुनसान सड़क जिसका इस्तेमाल बहुत कम या न के बराबर होता है, वहां कूड़े काे डंप किया जा रहा है। समस्या के बारे में निगम के अधिकारी से जब उनका पक्ष मांगा गया तो उनका कहना था कि जहां कूड़े का ढेर है वहां से कूड़े को उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बहुत जल्द नतीजे नजर आएंगे।

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