Kanjhawala Death Case: 9 पीसीआर वैन नहीं पकड़ सकीं, अंजलि को कार से घसीटते रहे; पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
Kanjhawala Death Case आरोपित बार-बार पीसीआर कॉल होने के बावजूद मौके पर नहीं पकड़े जा सके। घटना के दो घंटे बाद हरोहिणी और बाहरी दिल्ली जिले की पुलिस रकत में आई। कॉल पर कार्रवाई करने में पुलिस को करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लग गया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुल्तानपुरी में 20 वर्षीय अंजलि को बलेनो कार सवार पांच युवकों द्वारा कई किलोमीटर दूरी तक घसीटकर मार डालने की दर्दनाक घटना में रोहिणी और बाहरी जिले की पुलिस के अलावा पीसीआर की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
दो युवकों ने की थी बार-बार पीसीआर कॉल
आंतरिक जांच में यह बात सामने आई है कि दो युवकों ने बार-बार पीसीआर कॉल की, लेकिन न तो दोनों जिलों की पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की और न ही पीसीआर ने अपनी सही भूमिका निभाई। कॉल पर कार्रवाई करने में पुलिस को करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लग गया। तब तक आरोपित मौके से अपने-अपने घर भाग चुके थे। सूत्रों के मुताबिक बलेनो कार की तलाश में नौ पीसीआर वैन दौड़ रही थीं, लेकिन सफलता नहीं मिली।
शव की हालत देखकर उक्त जानकारी से जब आला अधिकारियों को अवगत कराया गया तो उसके बाद पुलिस हरकत में आई और तड़के करीब चार बजे पहले कार के नंबर से मालिक की पहचान की गई। उससे पूछताछ के बाद आरोपितों को पकड़ा गया। महकमे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अगर पीसीआर को जिला पुलिस के साथ नहीं मिलाया गया होता तब ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती। सुल्तानपुरी में जहां अंजलि की स्कूटी व बलेनो कार की टक्कर हुई वह बाहरी जिले का इलाका है और कंझावला में जहां उसका शव मिला वह रोहिणी जिले का इलाका है।
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तैनाती के बावजूद फेल
जिस परिधि में अजंलि को कार से घसीटा गया, वहां दो-तीन पीसीआर की तैनाती थी। बार-बार कॉल किए जाने के बावजूद किसी ने भी समय पर अपनी सक्रियता नहीं दिखाई। सुल्तानपुरी में किसी राहगीर ने कॉल कर बताया था कि एक बलेनो कार के नीचे कोई बच्चा फंसा हुआ लग रहा है। उस कॉल पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। घटना वाली रात सुल्तानपुरी और कंझावला के इलाके में बेगमपुर सर्किल के दो यातायात कर्मी को तैनात किया गया था।
रात के समय इमरजेंसी यूनिट के दोनों कर्मी की ड्यूटी थी। उन्हें सर्किल में रहना चाहिए, लेकिन उन्हें भी घटना के बारे में पता नहीं लग पाया। पांच से छह कॉल कंट्रोल रूम को मिलीं। एक अधिकारी का कहना है कि कार सवारों को अच्छी तरह पता था कि नीचे लड़की फंसी हुई है, लेकिन उसे घसीटते रहे। एसीपी और उनसे वरिष्ठ किसी भी अधिकारी की घटना वाली रात उस इलाके में उपस्थिति नहीं थी।
अरे यार, सोने दो
कंझावला के लाडपुर गांव के पास दीपक दहिया नाम के युवक की नजर पड़ने पर उसने 3:18 बजे 112 नंबर पर कॉल कर बताया कि बलेनो कार के नीचे कोई फंसा हुआ है। कार सवार उसे घसीटते हुए ले जा रहे हैं। उक्त कॉल पर चार मिनट बाद ही किसी पीसीआर कर्मी ने फोन कर कॉलर से कार के बारे पूछताछ तो की, लेकिन मौके पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा।
दीपक दहिया जब बलेनो का पीछा कर रहे थे तो रास्ते में एक पीसीआर वैन मिली, लेकिन कंट्रोल रूम से बात नहीं करने को कहा गया। इस दौरान बेगमपुर, राम चौक के पास पहुंचकर दीपक ने जब वहां खड़ी पीसीआर वैन में तैनात पुलिसकर्मियों को जगाकर घटना की जानकारी दी तब एक पुलिसकर्मी ने कहा कि अरे यार, सोने दो। इस तरह के मामले ने पूरी दिल्ली पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
पीसीआर वैन का रिस्पांस टाइम है चार मिनट
राजधानी में किसी घटना के बारे में कॉल मिलने पर पीसीआर वैन को मौके पर पहुंचने का रिस्पांस टाइम चार से पांच मिनट का है। टाइम कम करने और थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने पीसीआर यूनिट को खत्म कर जिला पुलिस के साथ मिला दिया था, लेकिन इस प्रयोग से हालात बिगड़ ही गए। नई दिल्ली का क्षेत्रफल कम होने के कारण इस जिले में कॉल रिस्पांस टाइम चार मिनट था। अन्य जिले का क्षेत्रफल बड़ा होने के कारण रिस्पांस टाइम पांच मिनट है।