दिल्ली के लोग अब ऐतिहासिक स्मारकों में कर सकेंगे शादी का आयोजन, सरकार खोलने पर कर रही विचार
दिल्ली सरकार ऐतिहासिक स्मारकों को शादी के लिए खोलने की योजना बना रही है। इससे लोगों को ऐतिहासिक स्थलों पर शादी करने का अवसर मिलेगा। सरकार स्मारकों का चयन करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सांस्कृतिक विरासत को कोई नुकसान न हो। इस पहल से पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

ऐतिहासिक स्मारकों को शादी समारोह के लिए खोलने पर भी विचार कर रही सरकार।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की भाजपा सरकार एक और जहां स्मारकों के संरक्षण पर ध्यान दे रही है, वहीं दूसरी ओर इन्हें शादी समारोह के लिए खोलने पर भी विचार कर रही है। मकसद साफ है कि इससे आने वाली आय को इन स्मारकों को बेहतर तरीके से संरक्षित किए जाने पर खर्च किया जा सके।
इसी क्रम में जहां सरकार ले शेख अली की गुमटी जैसे स्मारकों का संरक्षण कार्य शुरू कराया हुआ है तो वहीं ऐसे स्मारकों को भी शार्टलिस्ट किया जा रहा है जहां पर शादी समारोह के आयोजन किए जा सकते हैं।
सरकार के अधिकारियों के अनुसार मुगल राजकुमार दारा शिकोह का निवास स्थान रही कश्मीरी गेट स्थित दारा शिकोह लाइब्रेरी। जीटीके बस डिपो के पास मुगल काल का मकबरा। साधना एन्क्लेव में शुरुआती इंडो-इस्लामिक वास्तुकला को दर्शाता लोदी काल मकबरा, सम्राट मुहम्मद शाह की पत्नी कुदसिया बेगम द्वारा 18वीं सदी के कुदसिया गार्डन में मंडप ऐसे स्मारक हैं, जिन्हें इस सूची में शामिल किए जाने पर विचार हो रहा है।
इसी तरह वसंत विहार में मध्ययुगीन मकबरों और लोदी और सैयद काल की दीवारों के अवशेष, 14वीं सदी का बड़ा लाव का गुंबद आदि भी इसी सूची में शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि यह योजना शुरुआती चरण में है, और इसके कार्यान्वयन और स्थल चयन पर अभी भी चर्चा चल रही है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करेगी कि निजी या सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान हेरिटेज संरचनाओं को कोई नुकसान न हो। उन्होंने बताया कि सरकार ऐसे हेरिटेज स्थलों की बुकिंग फीस पर जीएसटी में छूट देने पर भी विचार कर रही है।
दूधिया रोशनी से नहाएगी शेख अली की गुमटी
डिफेंस कालोनी में लोधी-काल के एक स्मारक शेख अली की गुमटी की रौनक फिर से लौटने वाली है। गुमटी दूधिया रोशनी से नहाएगी। दिल्ली सरकार ने सदियों पुराने इस स्मारक को संवारने का काम शुरू कर दिया है। यह पहल सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस जगह को संरक्षित स्मारक घोषित करने के बाद उठाया गया है। 700 साल पुराने इस स्मारक को स्थानीय रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने छह दशकों से ज़्यादा समय तक अवैध रूप से कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अतिक्रमण हटाया गया।
इसके संरक्षण पर 69.99 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें दो महीने का विकास कार्य और उसके बाद दो साल का रख-रखाव कार्य शामिल है। योजना के अनुसार रख-रखाव कार्यों में कुछ खास तरह की प्रजातियों के पौधों को लगाना, जैविक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल करना और पानी देना, छंटाई करना, खरपतवार हटाना और सूख गए पौधों को हटाने जैसे कार्य सुनिश्चित करना शामिल है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।