दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से लॉ स्टूडेंट्स को मिली बड़ी राहत, अब एग्जाम में नहीं मानी जाएगी कॉलेज की ये शर्त
दिल्ली हाई कोर्ट ने लॉ के छात्रों के हित में फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यूनतम उपस्थिति की कमी के कारण किसी भी छात्र को परीक्षा देने से नहीं रोका जाएगा। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से उपस्थिति नियमों में बदलाव करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही, सुशांत रोहिल्ला आत्महत्या मामले को भी बंद कर दिया गया है।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को लॉ के स्टूडेंट्स को लेकर एक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी लॉ स्टूडेंट को मिनिमम अटेंडेंस की कमी के आधार पर एग्जाम में बैठने से नहीं रोका जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई, BCI) से जरूरी अटेंडेंस के नियमों में बदलाव करने को कहा है। कोर्ट ने लॉ स्टूडेंट सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या से जुड़ा सुओ मोटो केस बंद कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने उपस्थिति कम होने के कारण परीक्षा में बैठने से रोकने पर एक छात्र द्वारा आत्महत्या करने के मामले पर अहम निर्णय सुनाया है। अदालत ने कहा है कि देश में किसी भी कानून के छात्र को न्यूनतम उपस्थिति के अभाव में परीक्षाओं में बैठने से नहीं रोका जाना चाहिए। साथ ही अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से अनिवार्य उपस्थिति मानदंडों में संशोधन करने का भी आदेश दिया।
अदालत ने कहा कि उपस्थिति की कमी के कारण छात्र की अगली सेमेस्टर कक्षा में पदोन्नति रोकी नहीं जा सकती। अदालत ने उक्त निर्णय व आदेश के साथ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई एक स्वतः संज्ञान याचिका का निपटारा कर दिया। यह याचिका 2016 में एमिटी यूनिवर्सिटी विधि के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या के संबंध में थी, जिसे अपेक्षित उपस्थिति के अभाव में सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया गया था।
पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में सभी पक्षों की दलीलों को विस्तार से सुनने और सामने आई कठोर सच्चाइयों पर विचार करने के बाद, यह अदालत इस बात पर पूरी तरह सहमत है कि सामान्य तौर पर मानदंड शिक्षा और विशेष रूप से कानूनी शिक्षा को इतना कठोर नहीं बनाया जा सकता कि इससे किसी छात्र को मानसिक आघात पहुंचे, उसकी मृत्यु तो दूर की बात है।
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एमिटी विश्वविद्यालय के तृतीय वर्ष के विधि छात्र रोहिल्ला ने 10 अगस्त 2016 को अपने घर पर फांसी लगा ली थी, जब उनके कॉलेज ने आवश्यक उपस्थिति न होने के कारण उन्हें सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया था। उन्होंने एक नोट छोड़ा था, जिसमें लिखा था कि वह असफल हैं और जीना नहीं चाहते।

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