दिल्ली हाईकोर्ट का DGCA को नोटिस, पायलटों की थकान को लेकर दी गई छूट पर मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडियन पायलट्स गिल्ड की याचिका पर डीजीसीए से जवाब मांगा है, जिसमें फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों को पूरी तरह से लागू न करने पर ...और पढ़ें

दिल्ली हाईकोर्ट।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) योजना लागू करने से छूट देने के खिलाफ दायर इंडियन पायलट्स गिल्ड की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) और केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने अवमानना याचिका पर डीजीसीए व केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
पायलट संघ ने 2019 में जारी सिविल एविएशनरिक्वायरमेंट की धारा-सात, फ्लाइट क्रूस्टैंडर्ड्स ट्रेनिंग एंड लाइसेंसिंग, सीरीज-जे-पार्ट-तीन की वैधता को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। इसके तहत डीजीसीए ने 2011 में सीएआर द्वारा तय किए गए फ्लाइट क्रू और पायलटों के आराम के समय को काफी कम कर दिया था।
पायलटोंने फरवरी-2025 और अप्रैल में पारित न्यायिक आदेशों का जानबूझकर और इरादतन पालन न करने के लिए डीजीसीए और केंद्र के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की है। फरवरी में अदालत ने नोट किया था कि अधिकारियों द्वारा दायर एक हलफनामा में कहा गया था कि सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स सेक्शन-सात, पार्ट-तीन एक जुलाई 2024 तक लागू किया जाएगा, जबकि बाकी सात क्लाज एक नवंबर को या उससे पहले लागू किए जाएंगे।
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वहीं, अप्रैल में, अदालत ने यह रिकॉर्ड किया गया कि सिविल एविएशनरिक्वायरमेंट (सीएआर) 2024 को नोटिफाई करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी और इसलिए एयर इंडिया और किसी भी अन्य एयर लाइंस को तीन सप्ताह के अंदर डीजीसीए के पास अपनी-अपनी एफडीटीएल योजना फाइल करने का निर्देश दिया गया था।
पायलटों का अब कहना है कि डीजीसीए द्वारा अपने एफिडेविट में किए गए दावे के विपरीत और पायलट निकायों के साथ फिर से बातचीत किए बिना, अधिकारियों ने एयरलाइन-विशिष्ट एफडीटीएल योजनाओं को छूट और मंजूरी दी है जो कोर्ट द्वारा स्वीकार किए गए एफडीटीएल फ्रेमवर्क और टाइम लाइन को काफी हद तक कमजोर करता है।

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