Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिरासत में भूखे-प्यासे कैदी, दिल्ली HC ने पुलिस स्टेशनों की व्यवस्था पर जारी किया नोटिस

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 05:23 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस स्टेशनों में हिरासत में रखे गए लोगों को भोजन, पानी और सैनिटेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की मांग वाली याचिका पर दिल ...और पढ़ें

    Hero Image

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकारों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में पूछताछ के लिए लंबे समय तक हिरासत में रखे गए लोगों को खाना, पीने का पानी, बेसिक सैनिटेशन और रात में आराम करने की सुविधा देने की व्यवस्था करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार और अन्य से जवाब मांगा है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकारों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    याचिकाकर्ता और वकील आदित्य चौहान ने याचिका में कहा कि उन्होंने खुद करावल नगर, दयालपुर, गोकुलपुरी, सोनिया विहार, उस्मानपुर, सीलमपुर, सिविल लाइंस और कश्मीरी गेट सहित कई पुलिस स्टेशनों का दौरा किया। इन दौरों के दौरान, उन्होंने पाया कि पुलिस स्टेशनों में लंबे समय तक हिरासत में रखे गए लोगों को खाना, सैनिटेशन या आराम की सुविधा देने के लिए कोई स्टैंडर्ड सिस्टम नहीं है।

    उन्होंने कहा कि ज़्यादातर मामलों में, खाना परिवार के सदस्य लाते हैं, और जहाँ कोई नहीं होता, वहाँ हिरासत में लिए गए लोगों से अपना खाना खुद खरीदने की उम्मीद की जाती है। कुछ मामलों में, पुलिस अधिकारी अपनी जेब से पैसे देते हैं। यह भी कहा गया कि पुलिस स्टेशनों में जहाँ लोगों को हिरासत में रखा जाता है, वहां सैनिटेशन के कोई स्टैंडर्ड या निगरानी नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि इन ज़रूरी सुविधाओं को लेकर कोई कानूनी आदेश नहीं है।

    सुनवाई के दौरान, बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकारों से पूछा कि क्या ऐसी कोई गाइडलाइन मौजूद हैं और क्या उनका पालन किया जा रहा है। इसके बाद मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश के साथ सुनवाई स्थगित कर दी गई।