ग्रीन सेस की तैयारी: क्या है यह टैक्स, दिल्ली में पेट्रोल-CNG पर कितना पड़ेगा असर
दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल और CNG वाहनों पर 1-2% ग्रीन सेस लगाने की तैयारी में है। यह प्रस्ताव ड्राफ्ट EV पॉलिसी का ...और पढ़ें
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दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल और CNG वाहनों पर 1-2% ग्रीन सेस लगाने की तैयारी में है। सांकेतिक तस्वीर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) को बढ़ावा देने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। ड्राफ्ट इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत पेट्रोल और CNG वाहनों पर भी 1-2% ग्रीन सेस लगाने का प्रस्ताव है, जिससे अगले साल से ये वाहन महंगे हो सकते हैं। वर्तमान में डीजल वाहनों पर 1% ग्रीन सेस लगता है, जिसे बढ़ाकर 2% किया जा सकता है।
अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव ड्राफ्ट EV पॉलिसी का हिस्सा है, जो जनवरी में जारी होने की उम्मीद है। पॉलिसी को मार्च तक अंतिम रूप दिया जाएगा। उद्देश्य पारंपरिक ईंधन वाहनों की कीमत बढ़ाकर EV को आकर्षक बनाना है, ताकि प्रदूषण कम हो और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बढ़े।
दिल्ली की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होने से वाहनों से उत्सर्जन मुख्य कारण है। ग्रीन सेस से मिलने वाली राशि EV इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे चार्जिंग स्टेशनों के विकास में लगाई जाएगी। इससे पेट्रोल-CNG वाहनों की ऑन-रोड कीमत बढ़ेगी, जबकि EV पर सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन जारी रहेंगे।
ग्रीन सेस क्या है?
ग्रीन सेस (Green Cess) एक प्रकार का अतिरिक्त कर या शुल्क है, जिसे सरकार पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगाती है। यह मुख्य रूप से वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से वसूला जाता है। इस सेस से प्राप्त राशि का उपयोग पर्यावरण सुधार, जैसे चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ परिवहन या प्रदूषण नियंत्रण उपायों में किया जाता है।
ग्रीन सेस सामान्य टैक्स से अलग होता है, क्योंकि यह विशिष्ट पर्यावरणीय उद्देश्य के लिए होता है। दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में यह EV अपनाने और हवा साफ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि अगले एक साल तक दिल्ली के बाहर से आने वाले वाहनों के लिए पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUCC) अनिवार्य रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि BS-6 एमिशन स्टैंडर्ड से नीचे की गाड़ियां अब आधिकारिक तौर पर दिल्ली में आ सकती हैं। 'बिना PUCC, नो फ्यूल' नियम भी सख्ती से लागू किया जाएगा।
सिरसा ने चेतावनी दी कि BS-4 हो या BS-3, किसी भी प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ी पर जुर्माना लगाया जाएगा। दिल्ली के बाहर से आने वाली गाड़ियों पर खास नज़र रखी जा रही है, क्योंकि उनमें से कई के पास वैलिड पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUCC) नहीं होता है। दिल्ली में आने वाली किसी भी प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि यह कदम EV अपनाने को तेज करेगा, लेकिन मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। पॉलिसी में EV पर छूट और चार्जिंग नेटवर्क विस्तार के भी प्रावधान हैं। ड्राफ्ट पर जनता से सुझाव मांगे जाएंगे। यह दिल्ली को स्वच्छ और हरित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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