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    दिल्ली के अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू, रेखा सरकार मार्च 2026 तक भरेगी सारे पद

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 10:21 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने सरकारी अस्पतालों में 1,593 सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। मार्च 2026 तक भर्ती पूरी करने का लक्ष्य है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और चिकित्सकों की कमी दूर होने की उम्मीद है। एलएनजेपी और जीटीबी जैसे अस्पतालों में चिकित्सकों के पद खाली हैं, जिससे मौजूदा चिकित्सकों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। नई भर्ती केंद्रीकृत चयन प्रणाली के तहत होगी।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से रिक्त पड़े 1,593 पदों पर मार्च 2026 तक चिकित्सकों की नई भर्ती पूरी करने का आदेश दिया है। इसे ध्यान में रख सीनियर रेजीडेंट चिकित्सकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आस जगी है।

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    दावा किया जा रहा है कि नई भर्ती होने से न केवल स्वास्थ्य विभाग की चिकित्सकों की कमी की समस्या दूर होगी, बल्कि आम नागरिकों को समय पर बेहतर इलाज की सुविधा में भी सुधार होगा। चिकित्सकों की कमी का असर रोगियों की देखभाल पर पड़ता है। इस कारण आपरेशन व उपचार टलते रहे हैं। नए चिकित्सकों की तैनाती से यह समस्या काफी हद तक दूर होगी।

    दिल्ली के अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सकों के सैकड़ों पद वर्षों से खाली हैं। अकेले एलएनजेपी में 242 और जीटीबी अस्पताल में 205 पद रिक्त हैं। यही कारण है कि ऑपरेशन थिएटर से लेकर आपातकालीन सेवाओं तक चिकित्सकों की भारी कमी थी। जो हैं उन पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उन्हें कई-कई घंटों की अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ रही है।

    ऐसे में उन्हें आराम का समय नहीं पा रहा है, जिससे उनमें तनाव के साथ-साथ शारीरिक दिक्कतें भी पैदा हो रही हैं। पिछले दिनों इसी मामले को लेकर जीबी पंत अस्पताल में एक चिकित्सक ने त्यागपत्र तक दे दिया था। उनका आरोप था कि उनसे 36-36 घंटे की ड्यूटी ली जा रही है, जबकि रेस्ट के लिए मात्र आठ घंटे ही दिए जाते हैं, इसमें भी कभी-कभी आकस्मिक ड्यूटी पर बुला लिया जाता है।

    दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सबसे ज़्यादा कमी एनेस्थीसिया (270 पद), स्त्री एवं प्रसूति रोग (237 पद), बाल रोग (191 पद) और रेडियोलाजी (104 पद) जैसे विभागों में है। इन विभागों में नए चिकित्सकों की नियुक्ति से न केवल शल्य क्रियाओं की संख्या बढ़ेगी बल्कि मरीजों की प्रतीक्षा अवधि में भी कमी आएगी।

    स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नई भर्ती प्रक्रिया केंद्रीकृत चयन प्रणाली के तहत होगी, जिसकी अध्यक्षता मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज (एमएएमसी) के डीन करेंगे।

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