दिल्ली में जिला प्रशासन अब घोषित अपराधियों पर सक्रियता से लगाएगा पाबंदी, क्या कहता है नियम?
दिल्ली सरकार और जिला प्रशासन ने आदतन अपराधियों (बीसी) को बार-बार अपराध करने से रोकने के लिए पाबंद करने की व्यवस्था तेज करने का निर्णय लिया है। अब बीएन ...और पढ़ें

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने अब राजधानी में रहने वाले आदतन यानी घोषित अपराधियों (बीसी) को बार-बार अपराध करने से रोकने के लिए पाबंद करने की व्यवस्था में तेजी लाने का निर्णय किया है। कानून में यह प्रविधान काफी पुराना है। पहले आइपीसी की धारा 110 जी के तहत बीसी को पाबंद यानी बाउन डाउन करने का प्रविधान था अब बीएनएस की धारा 128 और 129 में बीसी को पाबंद करने का प्रविधान है। '
पिछले कई वर्षों मेें दिल्ली में जिला प्रशासन द्वारा बीसी को पाबंद करने का मसला इसलिए ठंढ़े बस्ते में पड़ा हुआ था क्योंकि पूर्व कीदिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस के बीच आपसी समन्वय का बहुत अभाव था।
बेहतर तालमेल न होने के कारण इस मसले पर लंबे समय से पुलिस व जिला प्रशासन दोनों की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था। लेकिन दिल्ली में अब भाजपा की सरकार आने से दिल्ली पुलिस का, सरकार के साथ बेहतर समन्वय हुआ है। इसलिए दोनों तरफ से अब बीसी को पाबंद करने में तेजी लाने की कोशिश की जाएगी।
नियम कहता है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ सड़क हादसा छोड़कर, पेटी क्राइम जैसे मारपीट, चोरी, झपटमारी, लूटपाट आदि आपराधिक मामलों के तीन या उससे अधिक मुकदमे हैं उन्हें संबंधित इलाके के थानाध्यक्ष घोषित अपराधी बना सकते हैं।
थानाध्यक्ष द्वारा इसकी इसकी रिपोर्ट तैयार कर संबंधित जिले के डीसीपी को भेज दिया जाता है उसके बाद डीसीपी की ओर से उसपर अप्रूवल दिया जाता है। डीसीपी के पास पूरा अधिकार होता है कि वे थानाध्यक्ष की रिपोर्ट की जांच करके के बाद किसी को बीसी बनाने का अप्रूवल दे अथवा नहीं।
उसके बाद बीसी को पांबद करने की प्रक्रिया शुरू होती है। पाबंद करने के बहुत सारे तरीके होते हैं। बीसी बार-बार किसी से झगड़ा व मारपीट न करें, शांति भंग न करें इसके लिए थानाध्यक्ष की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम को बीसी को अलग-अलग समय एक साल, दो साल या तीन साल के लिए पांबद करने का अधिकार है। इसमें अलग-अलग शर्तें हैं कि पाबंद का उल्लंघन करने पर जुर्माना व जिला बदर हो सकता है।
इससे बीसी में कहीं न कहीं एक तरह का दहशत होता था, वे जिला प्रशासन के आदेश का उल्लंघन करने से बचते थे। अब तक यह होता था कि थानाध्यक्ष अगर बीसी को पाबंद करने के बारे में रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम को भेजते थे तो एसडीएम उसपर अमल नहीं करते थे। पुलिस अधिकारी का कहना है कि महज दस प्रतिशत मामले पर अमल किया जाता था।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि नई दिल्ली आदि कुछ जिलों के कई ऐसे थाने हैं जहां एक भी घोषित अपराधी नहीं है। लेकिन कई ऐसे थाने हैं जहां 100 से अधिक बीसी रहते हैं। उस थानाक्षेत्र में हर दिन झगड़े व मारपीट करने की पीसीआर कॉल होती है।
दिल्ली सरकार का राजस्व विभाग ऐसे लोगों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 128 और 129 के तहत जनवरी से पाबंद करने का निर्णय किया है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के माध्यम से एसडीएम की ड्यूटी लगाई है। ये एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (एसडीएम) जनवरी माह में कैंप लगाकर दो से चार बजे तक अलग अलग तहसीलों के कंट्रोल रूम में अपराधियों को पाबंद करेंगे।
अपराधियों पर नकेल कसने के लिए लगाए जाएंगे कैंप
इन कैंपों का शेड्यूल भी सरकार की ओर से जारी कर दिया जाएगा। जिन जगहों पर यह कैंप लगाए जाएंगे वहां के एसडीएम के साथ ही दूसरे एसडीएम को भी लिंक ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया जाएगा। इसको लेकर दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट शेड्यूल में बताई गई तारीखों पर दोपहर दो बजे से शाम चार बजे के बीच सचिव (राजस्व)-सह-डिविजनल कमिश्नर दिल्ली के नाथ मार्ग, स्थित ऑफिस के कंट्रोल रूम (ड्यूटी मजिस्ट्रेट रूम) में अपनी ड्यूटी करेंगे।
ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर ड्यूटी करने वाले किसी भी अधिकारी को किसी भी तरह की छुट्टी नहीं मिलेगी, जब तक कि उसे मंज़ूरी न मिल जाए और लिंक मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी न दे दी जाए।
अगर ड्यूटी मजिस्ट्रेट और लिंक मजिस्ट्रेट दोनों ही किसी अप्रत्याशित या टाली न जा सकने वाली वजह से संबंधित तारीखों पर उपलब्ध नहीं हैं, तो ऐसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के संबंध में संबंधित डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट उस दिन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करेंगे। इसका पालन न करने पर इसे गंभीरता से लिया जाएगा। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन भी कैंप के लिए दो एसडीएम की ड्यूटी लगाई जारएगी।
इस मसले पर पुलिस अधिकारी का कहना है कि सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाने से आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगेगी और जिन लोगों को पाबंद किया जाएगा वह बार-बार अपराध करने से डरेंगे। क्योंकि उनको यह पता होगा कि उन्हें मुचलका में पाबंद किया गया है। अगर वह किसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे तो उसपर सख्त कानूनी कारवाई की जाएगी।

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