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    दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर हुआ स्थायी समाधान, शिक्षा अधिनियम 2025 से बड़ा बदलाव

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 07:31 PM (IST)

    दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में फीस निर्धारण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिन ...और पढ़ें

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    हर प्राइवेट स्कूल में 10 जनवरी तक SLFRC का गठन अनिवार्य होगा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में फीस तय करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। इस पहल के तहत, दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025, और इसके नियम शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किए जाएंगे।

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    यह कानून स्कूल और जिला स्तर पर दो कमेटियों के गठन को अनिवार्य करता है। जैसे, स्कूल स्तरीय फीस विनियमन समिति (SLFRC) और जिला स्तरीय फीस अपीलीय समिति (DLFRC)।

    शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि यह नया कानून 1973 के दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम को मजबूत करने के लिए बनाया गया है, जिसका मकसद फीस निर्धारण में पारदर्शिता बढ़ाना, जवाबदेही सुनिश्चित करना और माता-पिता के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि यह कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षा विजन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में व्यापक चर्चा और परामर्श के बाद लागू किया गया है।

    हर प्राइवेट स्कूल में 10 जनवरी तक SLFRC का गठन 

    हर प्राइवेट स्कूल में 10 जनवरी, 2026 तक SLFRC का गठन अनिवार्य होगा। इस समिति में स्कूल प्रबंधन के अध्यक्ष, स्कूल प्रिंसिपल, तीन शिक्षक, पांच माता-पिता और शिक्षा निदेशालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा। सदस्यों का चयन लॉटरी सिस्टम से किया जाएगा, और पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाएगा।

    SLFRC स्कूल द्वारा प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर की जांच करेगी और 30 दिनों के भीतर अपना फैसला देगी। पहले स्कूलों को 1 अप्रैल तक फीस प्रस्ताव जमा करने होते थे, लेकिन अब यह समय सीमा घटाकर 25 जनवरी, 2026 कर दी गई है। यदि SLFRC तय समय में फैसला नहीं दे पाती है, तो मामला अपने आप जिला स्तरीय समिति, DLFRC को भेज दिया जाएगा।

    DLFRC अपील और विवादों का समाधान 

    जिला स्तरीय DLFRC को फीस से संबंधित विवादों और अपीलों को सुलझाने का अधिकार दिया गया है, जो माता-पिता और स्कूलों दोनों को एक निष्पक्ष, पारदर्शी और संस्थागत मंच प्रदान करेगा।

    शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि सरकार का मकसद किसी भी पक्ष के खिलाफ टकराव पैदा करना नहीं है, बल्कि एक संतुलित और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करना है। दिल्ली में लाखों बच्चे पढ़ते हैं, और हर बच्चे का कल्याण सरकार के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने साफ किया कि यह कानून न तो स्कूलों के खिलाफ है और न ही टीचर्स के, बल्कि यह सिस्टम को भरोसेमंद, ज़िम्मेदार और रेगुलेटेड बनाने की दिशा में एक कदम है।

    सूद ने कहा कि यह नया सिस्टम हर साल फीस कितनी बढ़ेगी, इस बार-बार उठने वाले सवाल का पक्का समाधान देगा। यह माता-पिता के हितों की रक्षा करेगा और स्कूलों को भी एक साफ और स्थिर ढांचा देगा।