दिल्ली में पहली बार स्थापित होने जा रहा है 30 फीट ऊंचा कपिध्वज रथ, जानें क्या है इसका महत्व
दिल्ली में पहली बार महाभारत से संबंधित कपिध्वज रथ स्थापित किया जा रहा है। यह रथ बहादुर शाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट के पास लगाया जा रहा है, जिसमें भगवा ...और पढ़ें

दिल्ली गेट के पास स्थापित हो रहा महाभारत से जुड़ा कपिध्वज रथ।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली का नाम जहां बदलकर एक तरफ जहां इंद्रप्रस्थ किए जाने की मांग जोरशाेर से उठ रही है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में अब पहली बार महाभारत से संबंधित वह कपिध्वज रथ स्थापित होने जा रहा है, जिस पर भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेश वाला दृश्य है।
इसे बहादुर शाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट के पास सड़क के बीच में स्थित एक छोटे पार्क में लगाया जा रहा है। इस पर लोक निर्माण विभाग काम कर रहा है। अगले 10 दिन में तैयार हो जाने वाले स्टील के इस रथ का उपराज्यपाल वी के सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता लोकार्पण करेंगी।
इस रथ में 5500 किलो स्टील का उपयोग हो रहा है, क्रेन की मदद से रथ लगाया जा रहा है। इस रथ की ऊंचाई 20 फीट है और लंबाई 30 फीट है। जबकि इसे 31 फीट लंबे सीमेंट कंक्रीट के फाउंडेशन पर स्थापित किया जा रहा है। इसकी ऊंचाई डेढ़ फीट के करीब है, इसे टाइलें लगाकर सुंदर बनाया जाएगा।
रथ के चारों ओर स्टील की रैलिंग लगाई जाएगी। रथ में उच्च गुणवत्ता की स्टील उपयोग की जा रही है, जिससे उसमें जंग नहीं लगेगी। माना जा रहा है कि रथ तैयार होने पर दिल्ली की इस सड़क पर गुजरने पर लोगों को पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ से गुजरने का एहसास भी हो सकेगा।
इस रथ की स्थापना के साथ ही दिल्ली के दिल्ली के इंद्रप्रस्थ होने की बात भी उठ गई है। यह बात हमारे धार्मिक ग्रंथों में साबित हो चुकी है कि पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ जिस स्थान पर थी, उस स्थान पर दिल्ली शहर का काफी भाग बसा हुआ है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इससे पर्दा उठाने के लिए पुूरातात्विक साक्ष्य जुूटाने के लिहाज से पुराना किला में 1955 से खोदाई करा रहा है। यहां अब तक छह बार खोदाई हो चुकी है और अलग अलग नौ काल के प्रमाण मिल चुके हैं। खोदाई में नीचे जाने पर कुछ ऐसे चित्रित मृदभांड भी मिले हैं जो महाभारत की खोज से संबंधित हस्तिनापुर आदि में हुई खोदाइयां में मिले थे।
चित्रित मृदभांड एएसआइ के महानिदेशक रहे पद्मभूषण प्रो बी बी लाल द्वारा अपने शाेध में महाभारत काल के माने गए हैं। बहरहाल पुराना किला के इतिहास में यह बात प्रमुखता से वर्णित है कि यहां पर कभी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ्र हुआ करती थी। कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के बागपत के सिनौली में हुई खोदाई में उसी तरह के दो रथ मिले हैं जिन्हें युद्ध के समय उपयोग किया जाता था। इन रथ काे भी महाभारत काल का माना जा रहा है।
रिंग रोड पर यक्षिणी की मूर्ति लगेगी
रिंग रोड पर गीता कालोनी फ्लाईओवर चढ़ने वाले क्लोवरलीफ के कोने पर छह फीट ऊंची यक्षिणी की मूर्ति लगेगी। इसके लिए भी तैयारी चल रही है। यक्षिणी की मूर्तियां प्रकृति और नारी शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं, जिन्हें अक्सर वृक्षों के पास, या कमल/कलश लिए हुए, या छड़ी पकड़े हुए दिखाया जाता है, और ये जैन, बौद्ध और हिंदू कला में भी मिलती हैं।

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