दिल्ली सरकार के शराब निगमों को आबकारी विभाग का निर्देश: ऑनलाइन चालान को मान्यता दें, मैन्युअल काम से बचें
दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने शराब निगमों को ऑनलाइन चालान स्वीकारने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना और मैन्युअल कार्यों को कम करना है। विभाग ने पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया है। सभी निगमों को इस निर्देश का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया गया है। यह दिल्ली सरकार के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने का प्रयास है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आबकारी विभाग ने सरकारी निगमों को कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि शराब के थोक विक्रेताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन डिलीवरी चालान भेजना शुरू करें। आबकारी विभाग ने पहले भी शराब की बिक्री करने वाले चारों निगमों को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन जनरेट किए गए चालान को डिलीवरी के प्रमाण के रूप में स्वीकार करें और थोक विक्रेताओं से मैन्युअल चालान न मांगें।
अब विभाग द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि उसके संज्ञान में लाया गया है कि आबकारी शुल्क के अलावा अन्य भुगतान थोक विक्रेताओं को तब तक समय पर नहीं किया जा रहा है, जब तक कि विक्रेता द्वारा हस्ताक्षरित चालान डिलीवरी के प्रमाण के रूप में उन्हें प्रस्तुत नहीं किया जाता। चालान पर मैन्युअल हस्ताक्षर करना सरकार के व्यापार सुगमता के घोषित उद्देश्य के विपरीत एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिससे उत्पाद शुल्क के भुगतान में भी अनावश्यक देरी होती है।
मौजूदा आबकारी नीति के तहत दिल्ली सरकार के चार निगमों दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी), दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी), दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड (डीएससीएससी) और दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक विक्रेता (डीसीसीडब्ल्यूएस) के माध्यम से शहर में दुकानों पर शराब की बिक्री की जा रही है। ये निगम कुल 700 से अधिक खुदरा शराब की दुकानें चलाते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।