तीस हजारी कोर्ट के जज को दी थी 50 हजार की रिश्वत, दिल्ली पुलिस की पूर्व एएसआई की सजा HC ने रखी बरकरार
दिल्ली हाई कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट की जज को रिश्वत देने के मामले में दिल्ली पुलिस की पूर्व एएसआई तारा दत्त की सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार हमारी व्यवस्था में गहराई तक समा गया है। तारा दत्त पर नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप था। हालांकि, सह-आरोपित मुकुल कुमार और उनके पिता रमेश कुमार को बरी कर दिया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी कोर्ट की एक जज को 50 हजार रुपये की रिश्वत देने के मामले में दिल्ली पुलिस की पूर्व एएसआई तारा दत्त दोषी करार देने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।
हालांकि, न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने आपराधिक साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया। पीठ ने निर्णय बरकरार रखते हुए कहा कि यह मामला भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण पेश करता है कि ये किस तरह हमारी व्यवस्था में इतनी गहराई तक समा गई है कि यह एक आम धारणा बनाती है कि पैसे से कुछ भी खरीदा जा सकता है।
पीठ ने यह भी कहा कि 1947 में विदेशी शासन से आजादी हासिल करने के बाद थी अफसोस है कि देश भ्रष्टाचार के गहरे और फैले हुए जाल से खुद को आजाद करने में नाकाम रहा है। तारा दत्त पर एक सह-आरोपी मुकुल कुमार को जिला अदालत में नौकरी दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप था।
वहीं, अदालत ने आरोपी मुकुल कुमार और उनके पिता रमेश कुमार को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि मुकुल कुमार और रमेश कुमार के खिलाफ कोई जुर्म साबित नहीं हुआ है और उन्हें बरी कर दिया गया। राउज एवेन्यू कोर्ट ने भ्रष्टाचार निराेधक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया था।
साथ ही तीनों को तीन साल के जेल की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपियों ने जज को मुकुल कुमार काे नौकरी दिलाने के बदले रिश्वत देने की कोशिश की थी। आरोप है कि तारा दत्त ने जज से मिलने की काेशिश की थी, लेकिन जज ने उससे मिलने से मना कर दिया। इसलिए तारा दत्त ने लिफाफा कोर्ट के नायब के पास जज को देने के लिए छोड़ दिया। साथ ही नायब से यह भी कहा था कि अंदर का हिस्सा देखकर वह समझ जाएंगे।

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