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    50 हजार पुराने पुराने पेट्रोल-डीजल वाहन होंगे इलेक्ट्रिक, दिल्ली सरकार दे सकती है सब्सिडी

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 09:55 PM (IST)

    दिल्ली सरकार पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। नई ईवी नीति के तहत शुरुआती चरण में 50,000 वाहन ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    वीके शुक्ला, नई दिल्ली। पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने की वर्षों पुरानी इच्छा पूरी होने की उम्मीद जग रही है। दिल्ली सरकार इस योजना काे आगे बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। सूत्रों की मानें तो ऐसे वाहनों पर सरकार इतनी सब्सिडी दे सकती है कि लोग अपने डीजल व पेट्रोल वाले वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए आगे आ सकते हैं। ऐसे में यह भी उम्मीद की जा रही है कि दो पहिया, तिपहिया, और पुरानी कारों को इलेक्ट्रिक में बदलने की कंपनियां भी काम करने के लिए आगे आ सकती हैं।

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    50 हजार वाहनों को मिल सकती है सब्सिडी

    सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो एक अप्रैल से लागू होने वाली दिल्ली की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में रिट्रोफिटिंग योजना को भी महत्व दिया जा रहा है। इसके माध्यम से उम्र पूरी कर चुके डीजल पेट्रोल वाहन इलेक्ट्रिक में बदले जा सकेंगे। सरकार इस योजना पर सब्सिडी देने पर विचार कर रही है और माना जा रहा है की शुरुआती चरण में सरकार 50 हजार ऐसे वाहनों पर सब्सिडी दे सकती है।

    पांच करोड़ तक का बजट किया तय

    इसके लिए पांच करोड़ तक बजट रखा जा सकता है। सब्सिडी कितनी होगी इसे लेकर मंथन किया जा रहा है। दिल्ली की नई ईवी नीति में रेट्रोफिटिंग पर भी सरकार का फोकस रहेगा। जिसके तहत पांच करोड़ रुपये के खर्च से मौजूदा पारंपरिक वाहनों को इलेक्ट्रिक कारों में बदलने के लिए 50,000 रेट्रोफिट की सुविधा देने की उम्मीद है।

    सरकार सब्सिडी नहीं देगी योजना सफल नहीं होगी

    वाहनों में पारंपरिक इंजन की जगह इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी के ज़रिए इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए बड़े बदलावों की ज़रूरत होती है। जिस पर अभी खर्च अधिक आ रहा है।

    पूर्व में आप सरकार के समय यह योजना इसलिए आगे नहीं बढ़ सकी थी, कि इस योजना को लेकर कंपनियां आगे नहीं आई थीं, उनका मानना था कि जब तक इस कार्य पर सरकार सब्सिडी नहीं देगी योजना सफल नहीं होगी।

    तेलंगाना और कर्नाटक में आटो और बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने पर काम कर रहे रानी श्रीनिवासन कहते हैं कि यह काम दक्षिण भारत में आगे बढ़ रहा है, मगर दिल्ली में इसलिए आगे नहीं बढ़ सका कि उस समय सरकार ने इस पर सब्सिडी देने का प्रबंध नहीं कर पाया था।

    सरकार के लिए भी फायदेमंद साबित होगा

    वह कहते हैं कि बस को इलेक्ट्रिक में बदला जाता है तो 70 लाख के करीब खर्च आ रहा है, जो नई इलेक्ट्रिक बस एक करोड़ 80 लाख से अधिक में आ रही है वही बस आधे दाम में तैयार हो जा रही है। इसी तरह जो नया सवारी आटो तीन लाख के करीब में मिलता है, वह डेढ़ु से पौने दो लाख में तैयार होता है।

    इसी तरह बंगलुरु में दो पहिया को भी इलेक्ट्र्रिक में बदलने का काम शुरू हो चुका है। वह कहते हैं कि सरकार सब्सिडी देगी तो यह जनता और कंपनियाें और प्रदूषण दूर करने के मामले में सरकार के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

    बता दें कि दिल्ली सरकार उम्र पूरी कर चुके 2018 से अब तक 61 लाख से अधिक वाहनों का पंजीकरण रद कर चुकी है। इनमें से अब तक आठ लाख से अधिक वाहनों का एनओसी लेकर दूसरे राज्यों में पंजीकरण कराया गया है। करीब डेढ़ लाख वाहन स्क्रैप किए गए हैं।

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