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    दिल्ली में फ्लैट से 262 करोड़ का 328 किलो ड्रग्स जब्त, इंटरनेशनल कार्टेल का भंडाफोड़ करने पर गृहमंत्री ने सराहा

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 08:43 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने एक फ्लैट पर छापा मारकर 262 करोड़ रुपये का 328 किलो ड्रग्स जब्त किया। गृहमंत्री ने इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल का भंडाफोड़ करने के लिए पुलिस की सराहना की। यह दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स बरामदगी में से एक है, और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।

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    छतरपुर एंक्लेव स्थित इसी इमारत के एक फ्लैट से बरामद हुई मेथामफेटामाइन ड्रग्स का बड़े पैमाने पर कारोबार चला रहे थे एस्थर किनिमी और शाने वारिस। सौजन्य:एनसीबी

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलीजेंस के साथ मिलकर नगालैंड की रहने वाली एक युवती समेत दो ड्रग्स तस्कर को गिरफ्तार कर एक अंतरराष्ट्रीय सिंथेटिक ड्रग्स कार्टेल का भंडाफोड़ किया है। यह कार्रवाई आपरेशन क्रिस्टल फोर्ट्रेस के तहत की गई। इनकी निशानदेही पर छतरपुर स्थित किराए के फ्लैट से 262 करोड़ रुपये कीमत की 328.54 किलोग्राम मेथामफेटामाइन नामक ड्रग्स बरामद की गई है।

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    किराए पर लिया था कमरा

    नगालैंड की रहने वाली युवती ने छतरपुर में यह फ्लैट ड्रग्स तस्करी के लिए किराए पर लिया था। एजेंसी का दावा है कि इस सिंडिकेट के तार दुबई से लेकर दिल्ली व पूर्वोत्तर राज्याें में फैले हैं। दिल्ली में मेथामफेटामाइन की यह सबसे बड़ी जब्ती में से एक माना जा रहा है।

    एनसीबी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए तस्करों के नाम शाने वारिस व एस्थर किनिमी है। शाने वारिस को 20 नवंबर की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश अमरोहा के मंगरौली गांव का रहने वाला है।

    वह पिछले कुछ महीने से नोएडा सेक्टर-पांच में किराए के मकान में रह रहा था और फेक सिमकार्ड, वाट्सएप, जैंगी और दूसरे सुरक्षित एप से दुबई से लगातार एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन के जरिये जुड़ा हुआ था।

    नोएडा में बैठकर वह दुबई के अपने सरगना के इशारे पर सिंथेटिक ड्रग्स की डिलीवरी, पिकअप और स्टोरेज मैनेज करता था। उससे पूछताछ के बाद एस्थर किनिमी नाम की युवती को गिरफ्तार किया गया जो नगालैंड से ताल्लुक रखती है।

    दिल्ली में फैले नेटवर्क के तिले कनेक्शन

    वहीं, शाने वारिस की निशानदेही पर एनसीबी की टीम जब शनिवार की रात छत्तरपुर एन्क्लेव फेज-दो, जैन हाउस, चौथी मंजिल पर फ्लैट नंबर 402 पहुंची तो एक कमरे से 328.54 किलो मेथाम्फेटामाइन ड्रग्स बरामद हुई।

    वह फ्लैट अस्थायी स्टोरेज प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था। एनसीबी को शक है कि यह सिर्फ एक ठिकाना नहीं, बल्कि दिल्ली में फैले एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जिसमें जामिया नगर, शाहीन बाग, और ओखला जैसी लोकेशन का इस्तेमाल कम्युनिकेशन और को-ऑर्डिनेशन के लिए किया जा रहा था।

    भारत में ड्रग्स के हर मूवमेंट पर नजर

    जांच में पता चला है कि शाने वारिस भारत में सिर्फ एक आपरेटर की तरह काम कर रहा था। असली खेल दुबई से चल रहा है, वहां बैठकर सरगना लोकेशन तय करता था और डिलीवरी प्वाइंट भेजता था। एप के जरिए डीकोडेड संदेश भेजता था और भारत में ड्रग्स के हर मूवमेंट पर नजर रखता था।

    वारिस के मोबाइल से एनसीबी को कई ऐसे चैट मिले हैं, जिनमें कोड वर्ड, नक्शे और गुप्त रूट शेयर किए गए थे। जांच में यह भी सामने आया है कि यह सिंडिकेट सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं था। इसके तार मणिपुर, नगालैंड, असम, और नेपाल सीमा तक फैले हुए थे।

    ‘टेक सपोर्ट’ की तरह काम कर रहे

    सूत्रों के मुताबिक इस सिंडिकेट का दिल्ली में एक संपर्क जोन शाहीन बाग–जामिया इलाका था। यहां फेक आइडी, अस्थायी रेंटल कमरे और बिना ट्रेस होने वाली पैकेज हैंडलिंग का इस्तेमाल किया जाता था। यहां कुछ लोग ‘टेक सपोर्ट’ की तरह काम कर रहे थे।

    शाने वारिस से पूछताछ के बाद एनसीबी अब पूरी सप्लाई चेन, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, क्रिप्टो पेमेंट और ‘स्टोरेज नेटवर्क’ को ट्रेस करने में लगी है। इसके अलावा टीम एस्थर किनिमी और उससे जुड़े अन्य लोगों को तलाश रही है।

    इस कार्टेल का सरगना पिछले साल दिल्ली में एनसीबी द्वारा जब्त की गई 82.5 किलोग्राम कोकेन के मामले में भी वांछित है। इंटरनेशनल एनफोर्समेंट पार्टनर्स के साथ मिलकर उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए भारत लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

    पोर्टर जैसे डिलीवरी एप से तस्करी

    शाने वारिस नोएडा में सेल्स मैनेजर बनकर घूम रहा था और गुपचुप तरीके से करोड़ों की ड्रग्स का रैकेट चला रहा था। उसने पूछताछ में बताया एस्थर किनिमी ने उसे हाल ही में एक कंसाइनमेंट दिया था। वह खुद सामने नहीं आती थी बल्कि पोर्टर जैसे डिलीवरी एप के जरिए राइडर के हाथ ड्रग्स आपूर्ति करती थी।

    तस्करी के बाद बदल दिए जाते थे फोन

    एनसीबी का कहना है कि दुबई से लेकर दिल्ली और पूर्वोत्तर राज्यों तक फैले इस सिंडिकेट को ट्रैक करना आसान नहीं था क्योंकि लोकेशन बार-बार बदली जा रही थी और कंसाइनमेंट हमेशा मूव में रहते थे। तस्करी में इस्तेमाल होने वाले फोन कुछ घंटे बाद बदल दिए जाते थे लेकिन टीम ने टेक्निकल सर्विलांस, ह्यूमन इंटेलिजेंस और क्रास स्टेट इंफो शेयरिंग के जरिए धीरे-धीरे सिंडिकेट का पता लगा लिया।

    "हमारी सरकार बहुत तेज़ी से ड्रग्स कार्टेल को खत्म कर रही है। ड्रग्स की जांच के लिए टाप टू बाटम और बाटम टू टाप अप्रोच को सख्ती से अपनाते हुए नई दिल्ली में 262 करोड़ कीमत का 328 किलोग्राम मेथामफेटामाइन की जब्ती और दो लोगों को गिरफ्तारी से एक बड़ी कामयाबी मिली। यह ऑपरेशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नशामुक्त भारत के विजन की दिशा में कई एजेंसियों के बीच सीमलैस तालमेल का एक शानदार उदाहरण था। एनसीबी और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम को बधाई।"

    -अमित शाह, गृह मंत्री (एक्स पर पोस्ट)

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