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राजनिवास पहुंचने से पहले रोके गए 'आप' के मंत्री व विधायक, धरने पर बैठे केजरीवाल

सीएम आवास से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके विधायक एलजी आवास का घेराव करने निकले थे लेकिन पुलिस ने बैरीकेडिंग कर उन्‍हें एलजी आवास तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 09:18 PM (IST)
राजनिवास पहुंचने से पहले रोके गए 'आप' के मंत्री व विधायक, धरने पर बैठे केजरीवाल

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्‍ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर एलजी आवास तक हो रहे मार्च को बीच में ही रोक दिया गया है। मार्च का नेतृत्‍व कर रहे दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी कैबिनेट के साथ सड़क पर ही धरने पर बैठ गए हैैं। इस दौरान केजरीवाल के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, श्रम रोजगार मंत्री गोपाल राय, अलका लांबा, संजीव झा, प्रमिला टोकस, सौरभ भारद्वाज, देवेंद्र सहरावत, गिरीश सोनी समेत दिल्ली के कई विधायक शामिल हैं। 

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धरने पर बैठे सीएम केजरीवाल 

बता दें कि सीएम आवास से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके विधायक एलजी आवास का घेराव करने निकले थे लेकिन पुलिस ने बैरीकेडिंग कर उन्‍हें एलजी आवास तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया। ऐसे में मुख्‍यमंत्री अपने विधायकों को मंत्रियों के साथ बैरीकेड के पास ही धरने पर बैठ गए। फिलहाल मुख्‍यमंत्री अौर उनकी मं‍त्री परिषद नारेबाजी कर रही है। मार्च को लेकर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। 

उपराज्यपाल लगातार अवरोध पैदा कर रहे हैं

मार्च शुरू करने से पहले केजरीवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, सीसीटीवी कैमरे महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। लेकिन, उपराज्यपाल लगातार अवरोध पैदा कर रहे हैं। उच्च स्तरीय कमेटी का गठन ही इसीलिए किया गया है ताकि सीसीटीवी कैमरे न लगाए जा सकें। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा कमेटी गठन के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कमेटी सीसीटीवी स्थापना के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) और नियामक फ्रेम-वर्क तैयार कर रही है। जबकि हमारी आपत्ति यह है कि इस समय दिल्ली में जो सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, क्या वे बिना एसओपी के चल रहे हैं? जब उनके लिए प्रक्रिया है तो 'आप' सरकार के कैमरों में ही दिक्कत क्यों हो रही है?

अलर्ट है राजनिवास

बता दें कि 'आप' सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सीसीटीवी कैमरे के मुद्दे पर राजनिवास दबाव में नहीं आएगा। दिल्ली पुलिस को भी राजनिवास से इस संबंध में निर्देश जारी किए जा चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक मोहल्ला क्लीनिक के मुद्दे पर बीते वर्ष 'आप' सरकार ऐसा ही ड्रामा कर चुकी है। आलम यह हो गया था कि मंत्रियों और विधायकों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को उनके सरकारी निवास पर ही उन्हें 'बंधक' बना लिया था। केजरीवाल सरकार ने सीसीटीवी कैमरे पर भी कमोबेश ऐसी ही राजनीति करने की रणनीति बनाई है, लेकिन राजनिवास इस दफा पहले से अलर्ट है।

पुलिस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश

जानकारी के राजनिवास तक 'आप' सरकार के मंत्रियों एवं विधायकों के पैदल मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश जारी हो चुके हैं। राजनिवास की सुरक्षा के लिए तय मानकों के अनुरूप अतिरिक्त फोर्स की व्यवस्था की गई है। 

रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा

बताया जाता है कि उपराज्यपाल बस मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों से ही मुलाकात करेंगे। इस दौरान सरकार को उनके बेतुके सवालों का जवाब भी नहीं दिया जाएगा। केवल यही जानकारी दी जाएगी कि इस मुद्दे पर कमेटी अपनी रिपोर्ट और नियम बना रही है। मामला संवेदनशील है, इसलिए जल्दबाजी नहीं की जा सकती। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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'आप' सरकार खुद जिम्मेदार

सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल निवास में 'आप' सरकार इस बार हठधर्मिता का परिचय भी नहीं दे पाएगी। उपराज्यपाल के साथ दो टूक बातचीत के बाद इन्हें वहां अवांछित रूप से नहीं रुकने दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इस हालात के लिए हालांकि 'आप' सरकार खुद ही जिम्मेदार है। सरकार जिस तरह से हर मुद्दे पर राजनीति कर रही है और उपराज्यपाल को बदनाम करने में लगी है, उस हालात में 'आउट ऑफ द वे' जाकर राजनिवास से कभी मदद नहीं ले पाएगी।

यह भी पढ़ें: देश की सुरक्षा से समझौता नहीं, खटाई में पड़ सकती है सीसीटीवी कैमरे की योजना 


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