क्लाउड सीडिंग के कितने परीक्षण रहे सफल? मंत्री मनजिंदर सिरसा ने जवाब देकर बताया आगे का प्लान
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग की गई। मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे सफल प्रयास बताया और कहा कि फरवरी तक और परीक्षण होंगे। आईआईटी कानपुर के विमान से आठ फ्लेयर्स दागे गए। प्रत्येक फ्लेयर का वजन लगभग 2 से 2.5 किलोग्राम था और सीडिंग प्रक्रिया लगभग 18 से 20 मिनट तक चली। उद्देश्य विभिन्न आर्द्रता स्तरों पर सीडिंग की संभावनाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग कराई गई। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे नमी के अलग-अलग स्तर पर कृत्रिम वर्षा की संभावना का आकलन करने का दूसरा और तीसरा ''सफल'' प्रयास बताया। साथ ही कहा कि आंकड़े जुटाने के लिए फरवरी तक राजधानी में ऐसे और परीक्षण करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि 23 अक्टूबर को हुए पहले परीक्षण के बाद मंगलवार को दिल्ली में दो और परीक्षण किए गए। ये आईआईटी कानपुर के सेसना विमान द्वारा किए गए, जो मेरठ की तरफ से दिल्ली में दाखिल हुआ।आठ फ्लेयर्स दागे गए, जो खेकड़ा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग, मयूर विहार, सादिकपुर और भोजपुर से गुजरते हुए मेरठ लौट आए।
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, छोड़े गए प्रत्येक फ्लेयर का वजन लगभग 2 से 2.5 किलोग्राम था और प्रत्येक का इस्तेमाल लगभग 2.5 मिनट तक किया गया था। बताया कि इस प्रकार सीडिंग प्रक्रिया लगभग 18 से 20 मिनट तक चली। हमारा उद्देश्य विभिन्न आर्द्रता स्तरों पर सीडिंग की संभावनाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार की वर्षा संभव है।
उन्होंने कहा, मौसम विभाग के अनुसार हवा की दिशा उत्तरी थी और आर्द्रता आदर्श स्थिति यानी 50 प्रतिशत से कम थी। उन्होंने कहा, 'यदि यह सफल रहा तो हम इसके लिए एक दीर्घकालिक योजना भी तैयार करेंगे।'
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मालूम हो कि क्लाउड सीडिंग एक मौसम परिवर्तन तकनीक है जो बादलों की वर्षा उत्पन्न करने की क्षमता में सुधार करती है। सिल्वर आयोडाइड और अन्य यौगिकों को बादलों में सूक्ष्म भौतिक परिवर्तन लाने के लिए डाला जाता है, जिससे बर्फ के क्रिस्टल या वर्षा की बूंदें बनने को बढ़ावा मिलता है।

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