लाल किला ब्लास्ट के बाद CCTV लगाने की योजना में बदलाव, कैमरों की जद में होगा दिल्ली का चप्पा-चप्पा
लाल किला विस्फोट के बाद दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना में बदलाव किया है। अब ये कैमरे अंधेरे स्थानों के साथ-साथ संवेदनशील स्थानों पर भी लगाए जाएंगे। सरकार इस योजना पर 646 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसके तहत 50,000 नए कैमरे लगाए जाएंगे। पुराने कैमरों के रखरखाव के लिए 201 करोड़ का बजट भी मंजूर किया गया है। पीडब्ल्यूडी दिल्ली पुलिस को कुछ कैमरों का नियंत्रण देने पर विचार कर रहा है।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। लालकिला बम विस्फोट के बाद लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने दिल्ली में नए सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने लाल किला विस्फोट के बाद सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना में बदलाव किया है।
पहले यह सीसीटीवी कैमरे केवल डार्क स्पॉट पर ही लगाए जाने थे, लेकिन अब संदिग्धों पर नजर रखने के लिए अति संवेदनशील स्थानों पर भी इन्हें लगाया जाएगा। योजना के तहत सोलर पैनल और 50,000 नए सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना पर खर्च राशि मंजूरी के लिए फाइल दिल्ली सरकार के पास भेज दी है। इस योजना पर सरकार 646 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
50 हजार नए सीसीटीवी कैमरों की सरकार से वित्तीय स्वीकृति मिलने के 12 महीनों के भीतर लगाने का काम पूरा हो जाएगा। कैमरे लगाने वाली कंपनी ही 5 साल तक इसके रखरखाव का जिम्मा भी संभालेगी।
सरकार की व्यय एवं वित्त समिति की मंजूरी के बाद इस योजना के टेंडर जारी हो सकेंगे। योजना के अनुसार 50 हजार सीसीटीवी कैमरे 17 हजार नए पोल पर लगाए जाएंगे। साथ ही, डार्क स्पाट को सोलर लाइट से जगमग किया जाएगा।
गत दिनों लालकिला के सामने हुए बम विस्फोट से सरकार भी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। सुरक्षा को लेकर हाल हुईं समीक्षा बैठकों में अति संवेदनशील स्थानों में शामिल बाजार सहित भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने जाने की भी बात हुई है। इसे देखते हुए योजना में बदलाव किया गया है। सुरक्षा एजेंसियां भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा ढांचा तैयार करने की तैयारी में हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट भाषण में पिछले मार्च में दिल्ली में 50000 सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की थी। ये कैमरे महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर अंधेरे वाले स्थानों पर लगाए जाने की बात कही थी। सीएम की घोषणा के अनुसार ये अत्याधुनिक कैमरे होंगे।
कैमरे किन-किन स्थानों पर लगाए जाने हैं, इसे लेकर लोक निर्माण विभाग जल्द ही दिल्ली पुलिस को पत्र लिख इस बारे में जानकारी मांगेगा। जिसमें महिला सुरक्षा के साथ-साथ अति संवेदनशील स्थानों पर भी सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए जानकारी ली जाएगी।
पूर्व की सरकार ने दिल्ली में दो चरणों में दो लाख 80 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना पर काम शुरू किया था। जिसमें से दूसरे चरण के लगभग 6800 कैमरे अब तक भी नहीं लग सके हैं। विभाग का कहना है कि ये कैमरे 31 दिसंबर तक लग जाएंगे।
पूर्व की सरकार की इस योजना पर हुए विवाद में जाएं तो उस समय सीसीटीवी कैमरों को लेकर उस समय के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रिमंडल के साथ राज निवास पर उपराज्यपाल के यहां धन्य पर भी बैठे थे, हालांकि राजनिवास साफ कर चुका है कि उनके यहां कैमरे लगाने की फाइल कभी नहीं रुकी।
वहीं उस समय के भाजपा के विधायकों ने कैमरे लगाने को लेकर भेदभाव बरते जाने का आरोप लगाया था। भाजपा की सरकार आने पर दिल्ली विधानसभा इस मामले की जांच के आदेश दे चुकी है।
पुराने कैमरों के रखरखाव के लिए 201 करोड़ के बजट की मंजूरी
वहीं दिल्ली सरकार ने पहले से लगे सीसीटीवी कैमरों के रखरखाव के लिए 201 करोड़ के बजट को मंज़ूरी दे दी है। यह विस्तार ऐसे समय में किया गया है जब मौजूदा कॉम्प्रिहेंसिव एनुअल मेंटेनेंस कान्ट्रैक्ट (सीएएमसी) दिसंबर में खत्म होने वाला है और पीडब्ल्यूडी डेटा शेयरिंग को और आसान बनाने और कुछ कैमरों का आपरेशनल कंट्रोल दिल्ली पुलिस को देने पर भी विचार कर रहा है।
पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा कि इस खर्च में कैमरों के रखरखाव, डेटा चार्ज, कैमरे लगाने वाले घरों को सब्सिडी और पीडब्ल्यूडी हेडक्वार्टर में मौजूद सेंट्रल कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (सीसीसी) में तैनात मैनपावर की लागत शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि नेटवर्क को 24 घंटे चालू रखना बहुत ज़रूरी है क्योंकि पीडब्ल्यूडी कैमरों ने हाल की क्राइम की घटनाओं और कोर्ट केस में बहुत मदद की है। पीडब्ल्यूडी ने अभी तक दिल्ली पुलिस को 12,000 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज रिक्वेस्ट पूरी की है और 10,000 से ज़्यादा कोर्ट समन पर डिटेल उपलब्ध कराई है

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