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    Year Ender 2025: दिल्ली में उद्योग-व्यापार के लिए सकारात्मक माहौल, लेकिन नीतियों को जमीन पर उतारना जरूरी

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 02:35 AM (IST)

    दिल्ली के उद्योग और व्यापार के लिए वर्ष 2025 मिलाजुला रहा। सत्ता परिवर्तन के बाद नई ऊर्जा का संचार हुआ, कई नीतियां व्यापारी हितैषी रहीं, पर घोषणाएं धर ...और पढ़ें

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    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली के कारोबार व उद्योग के लिए यह वर्ष मिलाजुला रहा है। दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद बदले शासन तंत्र ने दिल्ली के आर्थिकी क्षेत्र में सकारात्मकता के साथ नई ऊर्जा का संचार किया है। रेखा गुप्ता सरकार के कई निर्णय और नीति व्यापारी और उद्यमी हितैषी रहे हैं। साथ ही भविष्य में बेहतर कारोबारी और औद्योगिक माहौल की उम्मीद जगाते हैं। हालांकि, कई घोषणाएं अभी कागजों में ही धरातल पर नहीं उतरी है।

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    इस बीच, वायु प्रदूषण तथा लाल किला के सामने आतंकी धमाके ने दिल्ली के कारोबारी माहौल में चिंता व भय पैदा की। चांदनी चौक के नील कटरा में सीलिंग ने फिर से सीलिंग का डर पैदा किया है। रेहड़ी, पटरी वालों के अतिक्रमण, जाम की सुविधा की कमी के साथ बाजार और औद्योगिक क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझते रहे। औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को दूर करने के साथ सरकार उद्यमियों को संपत्ति का मालिकाना हक देने जैसे घोषणाओं से आगे नहीं बढ़ पाई है।

    ट्रेड व फैक्ट्री लाइसेंस पर लिए गए ऐतिहासिक निर्णय

    इस वर्ष सरकार के स्तर पर कई नीतिगत निर्णय ऐसे रहे जो ऐतिहासिक तथा संपूर्ण कारोबारी व औद्योगिक माहौल को बेहतर बनाने वाले रहे हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस के लाइसेंस व एनओसी की अनिवार्यता से मुक्ति के साथ हेल्थ, ट्रेड लाइसेंस तथा फैक्ट्री लाइसेंस प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी तथा भ्रष्टाचार मुक्त बनाते हुए उसे संपत्तिकर से जोड़ने का ऐतिहासिक निर्णय रहा है। यह ट्रीपल इंजन की सरकार से संभव हो पाया। केंद्र व दिल्ली में भाजपा की सत्ता के साथ एमसीडी में भाजपा की सत्ता आने के साथ ये मांगें दशकों बाद पूरी हुई।

    नीतियां जो बदलेंगी दिल्ली का कारोबारी और औद्योगिक माहौल

    इसी तरह, नई उद्योग नीति, लाजिस्टिक नीति व आबकारी नीति जैसे सुधार के बड़े निर्णयों के साथ सरकार ईज आफ डूइंग बिजनेस की ओर बढ़ती दिख रही है। डीडीए ने प्लैंड कमर्शियल सेंटर्स का एफएआर 250 से 300 किया, जिससे हजारों व्यापारियों को राहत मिली।

    सरकार की मंशा दिल्ली को देश व्यापारिक राजधानी बनाने की है, जिसे लेकर दिल्ली सरकार के बजट में महत्वकांक्षी घोषणाएं की गई थी, उसमें से महत्वपूर्ण था व्यापारियों तथा सरकार के बीच सेतू का काम करने वाले दिल्ली व्यापारी कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा। हालांकि, यह बोर्ड अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाया है, जिससे व्यापारियों व उद्यमियों की बैचेनी बढ़ती जा रही है।

    निवेश समिट और स्टार्टअप पर जोर

    मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में औद्योगिक नीति 2025-35 के प्रारूप की घोषणा के साथ ही और स्टार्टअप नीति की ओर कदम बढ़ाने जैसे कदमों से उम्मीद जगी है कि दिल्ली में भी अब निवेशक आकर्षित होंगे। सरकार ने अन्य राज्यों की तर्ज पर दिल्ली में भी निवेश सम्मेलन की भी घोषणा की है। उम्मीद है कि दिल्ली सरकार अगले साल जनवरी-फरवरी 2026 में वैश्विक निवेशक समिट का आयोजन करेगी, जिसका उद्देश्य दिल्ली को एक प्रमुख निवेश केंद्र बनाना है।

    दिल्ली सरकार लाजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग नीति पर तेजी से काम कर रही है, जो भीड़भाड़ और प्रदूषण कम करने पर जोर देगी। इसमें बाहरी इलाकों में तीन अर्बन कंसालिडेशन सेंटर बनाने और सब्सिडी का प्रस्ताव है, जो व्यापार के क्षेत्र को विस्तार देगा। इसी तरह, युवा दिमाग को विकसित भारत के लक्ष्य से जोड़ते हुए स्टार्टअप नीति 2025 का मसौदा जारी किया है, जिसके तहत 200 करोड़ का वेंचर फंड स्थापित कर 2035 तक 5,000 स्टार्टअप खड़े करने तथा दिल्ली को एक वैश्विक नवाचार केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

    जीएसटी कटौती से खरीदारी में बूम तो धमाके से ठहरे बाजार

    दीपावली के ठीक पूर्व जीएसटी में भारी कटौती से बाजार और उद्योग को तेज गति मिली। लोगों ने जमकर खरीदारी की। जीएसटी दरों में कटौती से लोगों की खरीद क्षमता बढ़ी। हर उत्पाद की मांग में पिछली दीपावली की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत की तेजी देखी गई।

    हालांकि, लाल किला धमाके ने तेजी से भागते, दौड़ते और खरीदारों से चहकते दिल्ली के प्रमुख कारोबारी ठिकाने को ठिठका दिया। कुछ दिनों तक कारोबार में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। खासकर शादी सीजन में चांदनी चौक में लहंगा, साड़ी, सूट समेत अन्य परिधानों तथा कपड़ों की बिक्री प्रभावित हुई।

    वायु प्रदूषण से हांफते रहे

    2025 में नीतिगत सुधारों से दिल्ली व्यापार व उद्योग हब बनने की ओर अग्रसर हुई, लेकिन प्रदूषण और नियामक बाधाओं ने प्रगति रोकी। प्रदूषण के चलते बाजारों के कारोबार जहां प्रभावित हुआ। वहीं, डीजल जेनसेट इस्तेमाल न करने, निर्माण गतिविधियों पर रोक जैसे तमाम चुनौतियों ने उद्योग व निर्माण क्षेत्र की राह रोकी। वहीं, बिना पीयूसी के ईंधन नहीं अभियान से बार्डर क्षेत्र स्थित 150 पेट्रोल पंपों की बिक्री में 20 प्रतिशत तक की गिरावट हुई है।

    पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों के पुनर्विकास पर केवल बात, रोडमैप नहीं

    दिल्ली के प्रमुख कारोबारी हब पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों के पुनर्विकास पर केवल बात ही होती रही। व्यापारियों के एक समूह ने सरकार को उसका मसौदा भी सौंपा। मुख्यमंत्री ने शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) के पुर्नगठन की घोषणा की। उम्मीद है कि वह अगले वर्ष में होगा। लेकिन जिस तरह से चांदनी चौक व सदर बाजार में रेहड़ी-पटरी वालों का अतिक्रमण बरकरार रहा, जिसके चलते कभी कभी हालात अराजकता वाले बने। इसी तरह बाजार मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझते रहे। वह, निराशा पैदा करने वाले रहे।

    मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार की शुरुआत कई ऐतिहासिक निर्णयों के साथ सकारात्मक माहौल पैदा करने के साथ हुई। खासकर फैक्ट्री लाइसेंस और हेल्थ ट्रेड लाइसेंस में नए प्रविधान से जिस तरह से इंस्पेक्टरराज तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई गई है। वह विशेष है। उसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।

    वैसे, नई व्यवस्था में इंटरनेट माध्यम से आवेदन में दिक्कतें हैं, उम्मीद है कि वह आने वाले वक्त में उससे निजात मिल जाएगी। कुछ माह से सरकार की व्यस्तता बढ़ गई है। इसलिए उद्यमियों को संपत्ति का मालिकाना हक दिलाने को लेकर अक्टूबर से जारी होने वाला अभियान अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

     

    सरकार ने नई उद्योग नीति का मसौदा भी जारी किया है, जिसे सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है। वैसे, अभी तक उसके प्रविधानों को लेकर असमंजस की स्थिति है। केंद्र सरकार द्वारा पेश श्रम कानून के प्रविधानों पर कयास ही लग रहे हैं, नए बिजली कानून के आने पर राहत मिल सकती है, जिसपर सरकार चर्चा कर रही है। प्रदूषण के लिए उद्योग को जिम्मेदार मानने वाले व्यवहार में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। जबकि, मेक इन इंडिया को धरातल पर उतारने के लिए उस नजरिए में बदलाव की आवश्यकता है।

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    - मुकेश कुमार, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

    कुल मिलाकर यह वर्ष दिल्ली के उद्योग व्यापार के लिए मिलाजुला रहा। केंद्र, राज्य व एमसीडी के कई निर्णय उन्हें राहत देने वाले रहे, लेकिन नीतिगत स्तर पर बदलाव की बातें धरातल पर नहीं उतरी है। जबकि, आवश्यकता बदलाव की है। क्योंकि, ई-कामर्स की बढ़ती जकड़ में आवश्यकता बाजारों में मूलभूत सुविधाओं की सख्त आवश्यकता है। साथ ही ईज आफ डूइंग बिजनेस को अपनाकर उद्योग-व्यापार से नई पीढ़ी को जोड़ा जा सकता है, जिससे न सिर्फ आर्थिक प्रगति सशक्त होगी, बल्कि बेरोजगारी की दर कम होगी। भारत सशक्त होगा।


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    बृजेश गोयल, चेयरमैन, चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ)