महज 24 घंटे के अंदर कैसे बदतर हो गई हवा, दिल्ली के AQI में अचानक 82 प्वाॅइंट के इजाफे की क्या रही वजह?
दिल्ली में वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ी, जहां एक्यूआई 24 घंटे में 82 अंक बढ़कर 431 तक पहुंच गया। धूल और धुएं की परत छाई हुई है, हवा की गति कम होने और ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एक दिन पहले शुक्रवार को दिल्ली में AQI 349 के अंक पर था। 24 घंटों के भीतर इसमें 82 अंकों की तेज बढ़ोतरी हुई और शनिवार शाम चार बजे यह 431 पर पहुंच गया। रात आठ बजे यह 452 पहुंच गया। दिल्ली के वायुमंडल पर धूल और धुएं की एक परत छाई हुई है।
राहत के नहीं आसार
दिल्ली में हवा की रफ्तार दस किमी प्रति घंटे से भी कम है। साथ ही ठंड बढ़ने से प्रदूषण के कण ज्यादा देर तक वायुमंडल में बने हुए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगले तीन-चार दिनों के बीच दिल्ली के लोगों को प्रदूषित हवा से राहत मिलने की संभावना नहीं है।
इन वजहों से बढ़ा प्रदूषण
विशेषज्ञों की मानें तो हवा की रफ्तार कम होने, धूल और धुएं के चलते प्रदूषण में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, सड़क और निर्माण से उड़ने वाली धूल, ठोस कचरा और बायोमास जलाने से भी प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। बड़ा कारण यह कि हवा की धीमी गति है। इससे प्रदूषण के कणों का बिखराव नहीं हो पा रहा है।
सवा चार गुना ज्यादा प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर में शनिवार को तीन बजे पीएम 10 का औसत स्तर 425 और पीएम 2.5 का औसत स्तर 258 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर रहा। हवा में पीएम 10 का स्तर 100 से और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम होने पर ही उसे सामान्य माना जाता है। इस तरह दिल्ली की हवा में मानकों से सवा चार गुना ज्यादा प्रदूषक कण मौजूद हैं।
नहीं था ऐसा पूर्वानुमान
वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के अनुसार शनिवार को एक्यूआई 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचने का कोई अनुमान नहीं था। इसकी संभावना रविवार के लिए जताई गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही स्थितियां बिगड़ गईं। इसी कारण इस सीजन में पहली बार ग्रेप चार की पाबंदी लागू की गई हैं।
बताया जा रहा है कि शनिवार को भी प्रदूषकों के फैलाव के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहीं। वेंटिलेशन इंडेक्स 6,000 वर्ग मीटर प्रति सेकंड से कम था, जबकि औसत हवा की गति 10 किमी प्रति घंटे से कम थी, जिससे प्रदूषकों का तनुकरण और संचलन बाधित हुआ।
वाहनों के धुएं का योगदान भी रहा
आईआईटीएम पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण परिवहन क्षेत्र था, जिसका योगदान 14.2 प्रतिशत था। इसके बाद दिल्ली और आसपास के उद्योगों का योगदान 6.8 प्रतिशत रहा। निर्माण गतिविधियों का योगदान 1.8 प्रतिशत था, जबकि आवासीय स्रोतों का योगदान 3.6 प्रतिशत था।

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