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    'खांसी रुक नहीं रही, जल्दी हांफने लगता हूं अब तो...' प्रदूषण की वजह से दिल्ली के अस्पतालों में OPD 30% बढ़ी

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 08:49 PM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। लोकनायक, गुरु तेग बहादुर जैसे अस्पतालों में सांस, ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ‘दवा लेने के बाद भी खांसी रुक नहीं रही, सांस लेने में दिक्कत होती है, जल्दी हांफने लगता हूं, इसलिए तीसरी बार अस्पताल आना पड़ा। चार साल का बेटा भी परेशान है, उसकी खांसी है कि रुक ही नहीं रही है। अब तो डर लगने लगा है।’

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    बृहस्पतिवार को लोकनायक अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर खड़े निजामुद्दीन की आवाज में थकान और निराशा साफ झलक रही थी। वह पिछले तीन सप्ताह में दो बार खांसी और गले में जलन की शिकायत लेकर दो बार अस्पताल आ चुके हैं। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी परेशानी सीधे तौर पर बढ़ते वायु प्रदूषण से जुड़ी है।

    सरकारी अस्पतालों में सर्दी, खांसी, जुकाम, गले में खराश और सांस की तकलीफ के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पाॅन्स एक्शन प्लान (ग्रेप-चार) के तहत सख्त पाबंदियां लागू हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का असर तुरंत खत्म नहीं होता और इसका स्वास्थ्य प्रभाव कई दिनों तक बने रहते हैं।

    राष्ट्रीय राजधानी के बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच यह सिर्फ एक मरीज की कहानी नहीं है। दिसंबर 2025 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में बना हुआ है और इसका असर राजधानी के सरकारी अस्पतालों में साफ दिख रहा है।

    लोकनायक, गुरु तेग बहादुर, जीबी पंत और पूर्णिमा सेठी अस्पताल कालका जी की ओपीडी में सांस, खांसी, जुकाम और गले में खराश के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई मरीजों में लगातार खांसी, सीने में जकड़न और सांस फूलने की शिकायत बनी हुई है।

    पहले जहां 350 से 400 मरीज पहुंचते थे, वहीं अब यह संख्या 450 से 500 तक हो गई है। चिकित्सकों के अनुसार, मौजूदा हालात में श्वसन से जुड़ी बीमारियों के मामलों में 20 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इमरजेंसी में पहुंचने वाले कई मरीजों को तुरंत नेब्युलाइजेशन, ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ रहा है, कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।

    पूर्णिमा सेठी अस्पताल कालका जी में तीन सप्ताह से जुखाम से पीड़ित उपचार को पहुंची स्थानीय निवासी लता और खांसी, जुखाम के साथ सांस की दिक्कत से परेशान अपनी पोती को लेकर पहुंचे गोविंदपुरी निवासी दिलबहादुर की भी यही कहानी है। उनका कहना है कि हर सर्दी में इस तरह की समस्या होना आम बात है।

    पर, इस बार मामला कुछ अलग है क्योंकि उपचार के बाद भी बीमारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही, दवा जैसे असर ही नहीं कर रही। बताते हैं कि चिकिस्तक इसे प्रदूषण जनित बीमारी बता पल्ला झाड़ ले तरहे हैं। हम कहां जाएं, क्या करे, समझ ही नहीं आ रहा। अब तो डर लगने गया है।

    जीबी पंत और लोकनायक अस्पताल पहुंचे दरियागंज निवासी शोएब और वसीम ने बताया कि उन्हें करीब डेढ़ महीने से खांसी के साथ कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत की शिकायत है। लगातार अस्पताल में दिखा रहे हैं, दवा खा रहे हैं पर, खांसी ठीक होने का नाम नहीं ले रही। समझ में ही नहीं आ रहा क्या करें। पहले ऐसा नहीं होता था।

    हाल ही में केंद्र सरकार ने बताया था कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 2022 से 2024 के बीच 2 लाख चार हजार 758 तीव्र श्वसन रोग मामले रिपोर्ट हुए थे। इनमें से 30 हजार 420 मरीजों को भर्ती करना पड़ा। चिकित्सकों का कहना है कि 2025 की सर्दियों में भी यही कुछ हो रहा है।

    हालांकि दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल-वार दैनिक आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं किए हैं। पर, स्थिति ठीन नहीं है। गुरु तेग बहादुर और लोकनायक अस्पताल, जो पहले से ही भारी मरीज भार झेल रहे हैं, प्रदूषण के दिनों में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

    यहां के चिकित्सकों के मुताबिक, ओपीडी में आने वाले मरीजों में बच्चे, बुजुर्ग के साथ पहले से अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित लोगों की बड़ी संख्या हैं। कई मरीजों में खांसी और सांस की तकलीफ लंबे समय तक बनी रहने की शिकायत सामने आ रही है।

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