CAQM ने छह थर्मल पावर प्लांटों को थमाया नोटिस, 62 करोड़ का मुआवजा प्रस्तावित; दी ये चेतावनी
दिल्ली में जहरीली हवा के बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली के 300 किमी के दायरे में स्थित छह थर्मल पावर प्लांटों को नोटिस जारी किय ...और पढ़ें

थर्मल पावर प्लांट। सोशल मीडिया
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में बनी हुई जहरीली हवा के बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली के 300 किमी के दायरे में स्थित छह थर्मल पावर प्लांटों को बायोमास बर्निंग मानकों का पालन न करने पर नोटिस जारी किया है।
इस ''कारण बताओ नोटिस'' में इन प्लांटों पर पराली से बनी बायोमास गोलियां (पेलेट्स या ब्रिकेट्स) इस्तेमाल करने से जुड़े नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है।
गौरतलब है कि थर्मल पावर प्लांट फसल अवशेष उपयोग नियम, 2023 के तहत इन पावर प्लांटों को कोयले के साथ कम से कम पांच प्रतिशत बायोमास का मिश्रण करना अनिवार्य है। यह कार्रवाई विद्युत मंत्रालय की ओर से मुहैया कराए गए डेटा के आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुपालन स्थिति की समीक्षा के बाद की गई है। 2024-25 के लिए तीन प्रतिशत से अधिक को-फायरिंग की न्यूनतम सीमा तय की गई है।
समीक्षा में पाया गया कि पंजाब के मानसा स्थित तलवंडी साबो पावर लिमिटेड और हरियाणा के पानीपत, यमुनानगर और हिसार स्थित थर्मल स्टेशनों ने इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया। नियमों की अनदेखी के कारण इन प्लांटों पर क्षतिपूर्ति यानी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है।
तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (मानसा) पंजाब पर लगभग 33.02 करोड़, पानीपत थर्मल पावर स्टेशन (पानीपत) पर लगभग 8.98 करोड़, दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर स्टेशन (यमुनानगर) पर लगभग 6.69 करोड़, राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट (हिसार) पर लगभग 5.55 करोड़, गुरु हरगोबिंद थर्मल पावर प्लांट (लेहरा मोहब्बत), पंजाब पर लगभग 4.87 करोड़ और हरदुआगंज थर्मल पावर स्टेशन (उत्तर प्रदेश) पर लगभग 2.74 करोड़ का पर्यावरण मुआवजा प्रस्तावित है। इस तरह इन छह प्लांटों पर लगभग 61.85 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्तावित है।
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आयोग ने चेतावनी दी है कि बायोमास का इस्तेमाल न केवल पराली प्रबंधन के लिए जरूरी है, यह दिल्ली समेत एनसीआर की हवा को साफ रखने के लिए भी महत्वपूर्ण पहल है। इन कंपनियों को 15 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन प्लांटों के खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

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