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    इनवेस्टमेंट के नाम पर पूरे देश में साइबर ठगों के सिंडिकेट का खुलासा, 300 लोगों से 7.16 करोड़ की ठगी

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 08:29 PM (IST)

    दिल्ली में इन्वेस्टमेंट के नाम पर साइबर ठगी करने वाले एक सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस सिंडिकेट ने पूरे देश में 300 लोगों से 7.16 करोड़ रुपये की ठगी ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने देशभर में इन्वेस्टमेंट फ्राॅड का भंडाफोड़ कर एक बड़े साइबर सिंडिकेट से जुड़े चार सदस्यों काे गिरफ्तार किया है। दिल्ली के रहने वाले एक व्यक्ति से निवेश के नाम पर 27 लाख रुपये ठगी करने के आरोप की जांच करते हुए अपराध शाखा ने इन चारों को गिरफ्तार किया है। इनके बैंक खातों की जांच व राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर आई शिकायतों से पुलिस को सिंडिकेट द्वारा देश भर में 300 पीड़ितों 7.16 करोड़ रुपये ठगी करने का पता चला है।

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    विशेष आयुक्त देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों में मयूर मारुति सानस, पुणे, महाराष्ट्र का रहने वाला है। उसने मेसर्स नेक्सस-आईएन ब्राॅडबैंड नाम से बैंक खाता खुलवा रखा था, जिसका इस्तेमाल शिकायतकर्ता संजय चोपड़ा से 14 लाख रुपये मंगाने के लिए (म्यूल अकाउंट) किया गया था।

    वह पुणे के एक होटल में साथी आरोपितों के साथ रुका था और ठगी की रकम को दूसरे खाते में ट्रांसफर करने का काम किया था। गौरव जाधव भी पुणे का रहने वाला है। उसने म्यूल अकाउंट के यूजर को मनाया था और बैंक अकाउंट का सिमकार्ड और क्यूआर कोड मोहम्मद यूसुफ अली को सौंप दिया था। साथ ही, ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए मदद की थी।

    मोहम्मद यूसुफ अली, हैदराबाद, तेलंगाना का रहने वाला है। उसे म्यूल अकाउंट का सिमकार्ड और क्यूआर कोड मिला था। पुणे के होटल में रहने के दौरान ठगी की रकम आगे ट्रांसफर करने में मदद की थी। उसकी आइडी प्रूफ होटल को दी गई थी, जिससे उसकी संलिप्तता का पता चला। मोहम्मद अबरार खान भी हैदराबाद का रहने वाला है।

    पुणे के होटल में रहने के दौरान वह अन्य आरोपितों के साथ मौजूद था और ठगी की रकम मंगाने और उसे ट्रांसफर करने के लिए म्यूल अकाउंट चलाने में शामिल था। उसकी आइडी प्रूफ होटल को दी गई थी जो उसे साज़िश से जोड़ती है। चारों मल्टी-लेयर्ड साइबर फ्राड नेटवर्क को चलाने और मुख्य आरोपितों को मदद करने में शामिल थे। दिल्ली के एक पीड़ित की शिकायत पर तीन नवंबर को क्राइम ब्रांच, चाणक्यपुरी में केस दर्ज किया गया था।

    डीसीपी आदित्य गौतम का कहना है कि पीड़ित को कुछ अंजान लोगों ने आनलाइन ट्रेडिंग स्कैम में फंसाने के लिए पहले उन्हें वाट्स एप के ज़रिये संपर्क किया और फिर उन्हें एक नकली इन्वेस्टमेंट ग्रुप में जोड़ दिया, था। उस ग्रुप में झूठा प्राॅफिट दिखाया जा रहा था। बाद में ठगों ने उन्हें कोनिफर नाम का एक नकली ट्रेडिंग एप डाउनलोड करवाया, जहां बिना किसी असली बैंक या डीमेट को लिंक किए एक अकाउंट बनाया गया।

    वहां फर्जी प्राॅफिट दिखाने के बाद, आरोपितों ने उन्हें जयेश लाॅजिस्टिक्स नाम के एक फर्जी आईपीओ में इन्वेस्ट करने के लिए कहा गया। इसमें पीड़ित ने 27.20 लाख रुपये कई बचत खाते में ट्रांसफर कर दिए, जो मुख्य रूप से भवानी ट्रैवल एंड टूर एजेंसी और नेक्सस इन ब्राडबैंड के थे। साइबर अपराधियों के कहने पर पीड़ित ने जब 22 लाख और निवेश करने से मना कर दिया, तब उनका एप अकाउंट फ्रीज़ कर दिया गया।

    उसके बाद पीड़ित को शक हो गया। छानबीन से पीड़ित को पता चला कि अकाउंट पुणे और हैदराबाद में स्थित एक कोआर्डिनेटेड ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे म्यूल अकाउंट थे। फाइनेंशियल जांच से म्यूल अकाउंट, लेयर्ड शेल एंटिटी और तेज़ी से कैश निकालने का एक बड़ा स्ट्रक्चर्ड नेटवर्क सामने आया, जिसे आरोपियों ने ठगी से कमाए गए फंड को निकालने के लिए सिस्टमैटिक तरीके से किया था।

    मनी ट्रेल और वित्तीय जांच में ठगी की 27.20 लाख तीन बेनिफिशियरी अकाउंट्स में भेजे जाने का पता चला, जिन्हें चार आरोपित द्वारा चलाए जाने की जानकारी मिली। उसके बाद एसीपी रमेश चंद्र लांबा व इंस्पेक्टर पंकज मलिक व रोहित कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने पुणे व हैदराबाद से चारों को दबोच लिया गया।

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